नई दिल्ली। तंबाकू के इस्तेमाल में कमी लाने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों की
तारीफ करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद निरंतर एवं
समन्वित प्रयास तंबाकू की समस्या को खत्म करने के लिए बनाए रखे जाने चाहिए और इन्हें बढ़ाया जाना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि निगरानी
मजबूत करने, उपयोगकर्ताओं को तंबाकू छोड़ने में मदद करने के लिए दी जाने वाली सेवाओं समेत तंबाकू नियंत्रण
के उपाय बढ़ाने इस सफलता की कुछ अहम वजहें हैं।
तंबाकू के इस्तेमाल की व्यापकता में प्रवृत्तियों 2000-2025 पर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, संगठन
के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र ने तंबाकू के इस्तेमाल में गिरावट की सबसे तेज दर हासिल की। पुरुषों में धूम्रपान साल
2000 में 50 प्रतिशत से कम होकर 2020 में 25 प्रतिशत तक रह गयी और महिलाओं में धूम्रपान में तेजी से
कमी आयी। साल 2000 में 8.9 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करती थी जो अब 2020 में कम होकर 1.6 प्रतिशत हो
गयी है।
तंबाकू का इस्तेमाल गैर संचारी रोगों (एनसीडी) के लिए अहम खतरे में से एक है और प्रभावी तंबाकू नियंत्रण
एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है।
बयान में कहा गया है कि भारत और नेपाल उन देशों में शामिल है जहां वैश्विक एनसीडी कार्य योजना के लक्ष्य को
2025 तक हासिल करने के लिए तंबाकू के इस्तेमाल में 30 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है। अगर
तंबाकू नियंत्रण के प्रयास मौजूदा स्तर तक जारी रहते हैं तो क्षेत्र में धूम्रपान की दर 2025 में 11 प्रतिशत जितनी
कम हो सकती है।
इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया और श्रीलंका अपने किसानों को तंबाकू की खेती करने से रोकने
की दिशा में काम कर रहे हैं। भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका और तिमोर-लेस्ते ने तंकाबू छोड़ने वाली सेवाएं
स्थापित की और बढ़ायी है।