काशी के चौक पर जल्द स्थापित होगा श्रीयंत्र

asiakhabar.com | October 27, 2017 | 4:01 pm IST
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वाराणसी। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को क्योटो बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। मान्यता है कि काशी शिव के त्रिशूल पर बसी है। इसी चौक चौराहे पर समस्त ब्रह्मांड के प्रतीक श्रीयंत्र की स्थापना होगी।

चौक चौराहे से लेकर ज्ञानवापी मोड़ तक का क्षेत्र शिव के त्रिशूल के मुख्य फल पर टिका है। चुनार के बलुआ पत्थर व पीतल से श्रीयंत्र का निर्माण होगा। इसके लिए काशी के साधु-संतों व विद्वानों से विचार विमर्श चल रहा है। प्लानर इंडिया के श्यामलाल सिंह व विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के आर्किटेक्ट आरसी जैन की देखरेख में श्रीयंत्र की डिजाइन तैयार की जा रही है।
सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) फंड के वाराणसी में समन्वयक गुलशन कपूर ने बताया कि इसके लिए पत्थर चुनार से मंगाया जाएगा।

नंदी हो चुका स्थापित-

सीएसआर फंड से अब तक मणिकर्णिका द्वार का निर्माण, गोदौलिया चौराहे पर नंदी की मूर्ति की स्थापना और कबीरचौरा स्थित तिराहे का सौंदर्यीकरण किया गया है।

जीवन का सार काशी का चौक –

चौक को शिव के त्रिशूल का केंद्र बिंदु माना जाता है। यहीं से चार रास्ते जाते हैं जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का मार्ग बताते हैं। चौराहे से लगभग सत्तर मीटर दूर बाबा दरबार है, जो धर्म का प्रतीक है।

एक मार्ग दालमंडी को जाता है जो पूर्व में काम तृप्ति का केंद्र था। एक रास्ता अर्थ यानि ठठेरी बाजार, हड़हा को जाता है। बनारसी साड़ियों से लेकर सराफा का हब चौक में ही है। इसी चौराहे से एक रास्ता मणिकर्णिका को जाता है, जो मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।

वैभव का प्रतीक है श्रीयंत्र-

श्रीयंत्र महालक्ष्मी का यंत्र कहा जाता है। इसे श्रीचक्र भी कहा जाता है। यंत्र देवताओं का शरीर माना जाता है। अर्थ प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र की पूजा की जाती है। नवचक्रों से बने इस यंत्र में चार शिव चक्र, पांच शक्ति चक्र होते हैं। इस प्रकार इस यंत्र में 43 त्रिकोण, 28 मर्म स्थान, 24 संधियां बनती हैं।

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