-सिद्वार्थ शंकर-
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का तीन दिन का दौरा पूरा कर लिया है। शाह का दौरा ऐसे समय हुआ है
जब घाटी में अचानक से आतंकवाद में बढ़ोतरी हुई है। आतंकवादियों ने आम नागरिकों की चुन-चुनकर हत्या करके
केंद्र सरकार व सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, आतंकियों
ने इस वर्ष 28 आम नागरिकों की हत्या कर दी है। यह सब पाकिस्तान की सरकार, आर्मी, खुफिया एजेंसी
आईएसआई और उसके पालतू आतंकी संगठनों के इशारों पर हो रहा है। अक्टूबर के पिछले दो सप्ताह में ही 12
आम नागरिकों और नौ आर्मी जवानों की हत्या की जा चुकी है। आतंकी कश्मीर पंडितों, सिखों और प्रवासी मजदूरों
को निशाना बना रहे हैं। ऐसे माहौल में शाह का यह दौरा खास मायने रखता है। शाह आम नागरिकों का खून
बहाकर घाटी में फिर दहशत का माहौल पैदा करने की नापाक कोशिशों में पाकिस्तान को पराजित करने की
रणनीति लेकर गए थे। संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद से गृह मंत्री का यह पहला
कश्मीर दौरा था।
अमित शाह जम्मू-कश्मीर में तीन दिन रहे। उनसे पहले सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी जम्मू-कश्मीर गए
थे। मगर शाह के दौरे ने घाटी के लोगों में विश्वास का वातावरण बनाने का काम किया है। साथ ही सेना और
पुलिस के जवानों में जोश भरने का भी। शाह का दौरा ऐसे समय हुआ है जब घाटी में जवानों और नागरिकों में
हताशा घर कर रही थी। अचानक से बढ़े आतंकवाद ने 370 हटने के बाद की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर
रहा है। विपक्ष के नेता भी इसी मौके की ताक में हैं। कैसे सरकार से गलती हो और वे घेरने का काम करें। इस
बात की भनक सरकार को भी है। इसीलिए गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर पहुंचे और आतंकी घटनाओं पर रोक
लगाने के साथ भविष्य का रोडमैप तैयार कर आए। भले ही कहा जा रहा हो कि शाह का दौरा सरकार की विकास
योजनाओं के संदर्भ में रहा हो, मगर यह आधा सच है। शाह घाटी में विकास की सौगात देने आए थे, मगर यही
सिर्फ दौरे का मतलब नहीं था।
आतंकवादी घटनाओं के बढऩे के बीच शाह की कश्मीर यात्रा नरेंद्र मोदी सरकार के आउटरीच कार्यक्रम के हिस्से के
रूप में रही, जिसके तहत बारी-बारी से 70 केंद्रीय मंत्रियो के जम्मू-कश्मीर पहुंचने का कार्यक्रम है। आंतकी घटना के
बीच गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि नए जम्मू-कश्मीर का
विकास केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है और आतंकी घटनाएं सरकार के इरादे नहीं बदल सकती है और ना ही
सरकार का रास्ता रोक सकती है। अगर कोई भारत की अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो उसे छोड़ा
नहीं जाएगा। सेना को फ्री हैंड दिया गया है। कश्मीर में पाकिस्तान की मंशा को कभी भी पूरा होने नहीं दिया
जाएगा। शाह के दौरे के ऐलान के वक्त से माना जा रहा था कि वे चुनाव प्रक्रिया को बढ़ा सकते हैं, मगर अब तक
राज्य के किसी भी नेता से मुलाकात न होना बता रहा है कि दौरा सिर्फ विकास तक ही सीमित रहेगा। पांच अगस्त
2019 को जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के समाप्ति के बाद गृह मंत्री की
यह पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा है। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में, शाह की यह दूसरी यात्रा है। उन्होंने अनुच्छेद
370 को समाप्त करने से 40 दिनों पहले जून 2019 में कश्मीर घाटी का दौरा किया था। आंतकी घटना के बीच
भी गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि नए जम्मू-कश्मीर का
विकास केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है और आतंकी घटनाएं सरकार के इरादे नहीं बदल सकती है और ना ही
सरकार का रास्ता रोक सकती है।