-सुखदेव सिंह-
पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आजकल महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच
चुकी है। एक तो कोरोना वायरस की मार, ऊपर से महंगाई बढ़ने की वजह से आम जनमानस आहत है। एक देश,
एक ही कानून लागू किए जाने की सरकारें दुहाई देती हैं, मगर पेट्रोल, डीजल पर सरकारें जनता से दोहरा जीएसटी
वसूल करके आम आदमी का घरेलू बजट बिगाड़ रही हैं। भारत ही केवलमात्र ऐसा देश है जिसमें सरकार अपनी
जनता से सबसे अत्यधिक टैक्स वसूल कर रही है। कच्चा तेल निर्यातक देशों में पेट्रोल, डीजल इतना महंगा नहीं
बिक रहा जितनी इसकी कीमतों में आग भारत में लगी हुई है। पेट्रोल सौ रुपए प्रति लीटर का आंकड़ा भी पार कर
चुका है। कहने को हिमाचल प्रदेश में अब इलेक्ट्रिकल वाहन चलाए जाने की सरकार घोषणा कर चुकी है। ऐसे में
सरकार का राजस्व आखिर कैसे पूरा होगा, यह भी बड़ा सवाल है। हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में इलेक्ट्रिकल
भारी वाहन चलाना दिन में आसमान से तारें तलाश करने के बराबर है। माना कि पेट्रोल, डीजल के कुएं अपने देश
में नहीं। केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो पेट्रोल, डीजल के दामों में कुछ कटौती करके जनता को महंगाई की मार
से थोड़ी राहत जरूर दिला सकती हैं। केंद्र सरकार पेट्रोल, डीजल पर भारी भरकम जीएसटी सहित राज्य सरकारें भी
अलग से वसूल करती जा रही हैं। पेट्रोल, डीजल महंगे होने के कारण प्रत्येक वस्तु के दाम भी बढ़ जाते हैं जिसका
खामियाजा आम जनमानस को भुगतना पड़ता है। आज खाद्य वस्तुओं, फल, सब्जियों, दवाइयों, बस किराया,
बिजली बिल, सीमेंट, सरिया, रेत, बजरी, सोना और चांदी आदि तक के दामों में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है।
सरकारी राशन की दुकानों पर मिलने वाले राशन की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने उचित मूल्य
की दुकानों में मिलने वाले खाद्यान्न पर अब सबसिडी बंद कर दी है। हिमाचल प्रदेश की जय राम ठाकुर सरकार
कई बार केंद्र सरकार से यह सबसिडी यथावत रखने की गुहार लगा चुकी है, मगर हिमाचली धामों की प्रशंसा करने
वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहाड़ की मांग को अस्वीकार कर रखा है। नतीजतन प्रदेश सरकार सिर्फ अपने बलबूते
पर प्रदेश की जनता को सस्ता राशन उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रही है। प्रदेश में बढ़ती राशन कार्डों की
संख्या के कारण अब इस राशन की कीमतों में भी भारी उछाल आया है। प्रदेश में 19 लाख 26 हजार 192
उपभोक्ताओं को राशन के डिपो में दालें खरीदने के लिए अब जेब ढीली करनी पड़ेगी। दीपावली पर्व पर इस बार भी
पांच सौ ग्राम अतिरिक्त चीनी का कोटा सरकार ने बढ़ाया है। इसके बावजूद डिपो में मलका 67 से 82, मुंगी 53
से 67, रिफाइंड तेल 104 से अब 117 रुपए कीमत कर दी गई है। सरसों तेल की बोतल करीब दो सौ रुपए तक
पहुंच चुकी है। सब्जियों और फलों के दामों में बेतहाशा वृद्धि होने के कारण आम आदमी आखिर किस तरह जीवन
यापन करे, यह बहुत बड़ी समस्या है। त्योहारों का सीजन देखते हुए सरकार ने मेवे के दामों में कुछेक कटौती जरूर
की है। आम आदमी अपनी रोजमर्रा की जरूरतें बड़ी मुश्किल से निर्वहन कर पा रहा है, ऐसे में मेवा खरीदना हर
किसी के बस की बात नहीं है। गृहिणियों को धुएं से राहत दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने उन्हें उज्ज्वला गृहिणी
योजना के तहत मुफ्त में सिलेंडर बांटे थे। आज गनीमत यह कि एक गैस सिलेंडर भरने की कीमत एक हजार रुपए
से भी अधिक है। ऐसे में महिलाओं के लिए गैस सिलेंडर भरवाना अब बहुत मुश्किल काम बन चुका है। नतीजतन
महिलाएं अपने आपको ठगा सा महसूस करने लग पड़ी हैं। सरकार ने महिलाओं को सदैव गैस सिलेंडर का इस्तेमाल
किए जाने को लेकर ही उन्हें वे वितरित किए थे। मगर महिलाओं ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि गैस सिलेंडर
के दामों में अचानक कई गुणा वृद्धि होने के कारण उन्हें फिर से अन्य ईंधनों को अपनाना पड़ेगा। सन् 2014 से
पूर्व गैस का सिलेंडर करीब चार सौ रुपए में खरीदने पर अच्छी सबसिडी भी बैंक खाते में जमा हो जाती थी। आज
गैस सिलेंडर के दाम कई गुणा बढ़ चुके हैं और सबसिडी के नाम पर उपभोक्ताओं को मिल रहे हैं सिर्फ चंद रुपए।
सरकारों द्वारा जनता को कृषि से विमुख किए जाने की कोशिश की गई है।
उचित मूल्यों की दुकानों में जब से सस्ता राशन मिल रहा है, अधिकतर किसानों ने खेतीबाड़ी से मुंह ही फेर लिया
है। कृषि औजार कबाडि़यों को बेच दिए और पशु पालन भी ऐसे माडर्न किसानों को पसंद नहीं। केंद्र सरकार किसानों
की आय दो गुना किए जाने के लिए प्रयासरत है। खेतीबाड़ी में दिलचस्पी नहीं लेने वाले किसानों की आय फिर कैसे
बढ़ सकती है? पशुओं के गोबर से बने उपले कभी चूल्हे में ईंधन का काम भी करते थे। लकड़ी पांच सौ रुपए
क्विंटल के हिसाब से आजकल बेची जा रही है। गैस सिलेंडर महंगा और घरेलू ईंधन उपले भी घरों में मौजूद न
होने की वजह से गृहिणियों को कई समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। अधिकतर घरों में आजकल चाइना मेड
इलेक्ट्रिकल चूल्हे पर खाना बनाया जा रहा है। सन् 2014 से पूर्व सीमेंट के दाम करीब दो सौ रुपए प्रति बोरी थे।
आज उसी के दाम बढ़कर कई गुना ज्यादा हो गए हैं। इसी तरह स्टील, रेत, बजरी, ईंट, मोटर साइकिल, डिश
रिचार्ज भी महंगा हो गया है। यातायात नियमों की अवहेलना करने पर अब दस हजार रुपए जुर्माना है, साथ ही
ड्राइविंग लाइसेंस नाममात्र रुपयों में बनने वाला हजारों रुपयों में पहुंच गया है। गैस सबसिडी ढाई सौ रुपए से मात्र
तीस रुपए करके प्रदेश की जनता से मजाक किए जाने की कोशिश की गई है। हिमाचल प्रदेश में बनने वाली
बिजली पहाड़ के लोगों को महंगे दामों में बेची जा रही है और अन्य राज्यों को सस्ती। यही नहीं बिजली के
अतिरिक्त बिलों से जनता खासी त्रस्त है। जयराम ठाकुर सरकार ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में बसों का किराया
पचास फीसदी बढ़ाकर गरीब जनता को पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया है। निजी बसों के परिचालक बसों में
सवारियां कम बैठे देख कोरोना वायरस समय में कई गुणा अतिरिक्त किराया वसूलकर जनता से अन्याय कर रहे
हैं। त्योहारों का सीजन चल रहा है। ऐसे में मिठाई के दाम भी आसमान को छू रहे हैं। बढ़ती महंगाई पर अंकुश
लगाने के लिए जयराम ठाकुर सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।