कुशीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का
उद्घाटन किया और कहा कि यह दशकों की आकांक्षाओं और प्रयासों की अभिव्यक्ति है।
श्रीलंका से पहली उड़ान बुधवार सुबह कुशीनगर हवाईअड्डे पर उतरी, जिसमें एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आया,
जिसमें मंत्रियों समेत बौद्ध भिक्षु शामिल थे।
उन्होंने कहा, यह मेरी प्रतिबद्धता थी और हमने इसे पूरा किया है। हम बौद्ध स्थलों को जोड़ने, आतिथ्य सुविधाओं
में सुधार और पर्यटकों के आराम को सुनिश्चित करने पर विशेष जोर देते हैं। यह हवाईअड्डा न केवल भारत से
बल्कि, थाईलैंड, कोरिया, जापान, कंबोडिया और श्रीलंका सहित अन्य देश दुनिया भर के बौद्धों की सेवा करेगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि लुंबिनी, सारनाथ और बोधगया जैसे अन्य बौद्ध स्थल कुशीनगर से थोड़ी दूरी पर थे,
जिसने बौद्ध सर्किट के महत्व को जोड़ा।
उन्होंने कहा कि भारत ने हवाईअड्डों की संख्या बढ़ाकर अपनी कनेक्टिविटी का विस्तार किया है और आने वाले
वर्षों में भारत में 200 और हवाईअड्डे होंगे।
उन्होंने कहा, उड़ान अकादमियों की भी स्थापना की जा रही है और हमारी ड्रोन नीति से कृषि, स्वास्थ्य और आपदा
प्रबंधन सहित अन्य क्षेत्रों को लाभ होगा।
इससे पहले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि
कुशीनगर से मुंबई और कोलकाता और अन्य गंतव्यों के लिए जल्द ही उड़ानें शुरू होंगी।
उन्होंने कहा कि इस हवाईअड्डे के चालू होने से दुनिया भर के 54 करोड़ बौद्ध लाभान्वित होंगे।
260 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित और 3,600 वर्ग मीटर में फैला यह हवाईअड्डा धार्मिक पर्यटन के लिए
महत्वपूर्ण है क्योंकि कुशीनगर वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यह चार प्रमुख
बौद्ध सर्किटों में से एक है। हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार के आसपास के जिलों में भी काम करेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुशीनगर राज्य का नौवां हवाईअड्डा है और 11 और पूरे
होने वाले हैं।