नई दिल्ली। नेवी कमांडरों की पांच दिवसीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन फैसला लिया गया कि हिंद महासागर में भारत अपने लड़ाकू जहाज तैनात करेगा। नेवी कमांडरों ने इनकी आवाजाही की योजना को अंतिम स्वीकृति दे दी।
कांफ्रेंस को सेनाध्यक्ष बिपिन रावत व वायु सेना के प्रमुख बीएस धनोआ ने भी संबोधित किया। नई रणनीति के तहत विमानों से लैस लड़ाकू जहाजों उन जगहों पर तैनात किया जाएगा, जो संवेदनशील मानी जा रही हैं। किसी भी तरह की चुनौती होने पर ये तत्काल प्रभाव से दुश्मन सेना को सबक सिखाएंगे।
अभी तक नौसेना हिंद महासागर में अपने जहाजों को केवल एंटी पाइरेसी पेट्रोल के लिए तैनात करती है। समुद्र में भटकने वाले लोगों की मदद का काम भी ये जहाज करते हैं। लेकिन दक्षिण चीन सागर में तनाव पैदा करने के बाद चीन लगातार इस क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ा रहा है। श्रीलंका व बांग्लादेश के जरिये वह भारत को घेरने की कोशिश में है।
सारे हालातों के मद्देनजर नौसेना ने भी आक्रामक तेवर अख्तियार किए हैं। नौसेना अध्यक्ष सुनील लांबा की अगुआई में नई रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। कांफ्रेंस के दौरान नौसेना की क्षमता बढ़ाने पर भी चर्चा की गई। हादसों से निपटने के गुरों पर अगले दो दिनों तक चर्चा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 2007 से 2016 के दौरान 38 बार पनडुब्बी या फिर जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं। कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि सुरक्षा संबंधी तंत्र विकसित करने के मामले में नौसेना बेहद कमजोर है।