अर्पित गुप्ता
बैंकॉक। म्यामां में सैन्य शासन वाली सरकार के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि
रोहिंग्या समुदाय के लोगों को कोविड-19 रोधी टीके लगाए जाएंगे।
मुस्लिम अल्पसंख्यक 2017 में एक उग्र आतंकवाद विरोधी अभियान का निशाना बना था, जिसे कुछ आलोचकों ने
नस्ली सफाई या नरसंहार के बराबर बताया था। रोहिंग्या व्यापक भेदभाव का सामना करते हैं और अधिकांश को
नागरिकता और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित किया गया है।
सरकार के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने राजधानी नेपीतॉ में संवाददाता सम्मेलन में टीके लगाए जाने के
बारे में घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारी इस साल देश की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के
टीकाकरण की कोशिश कर रहे हैं।
म्यांमा की लचर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सेना द्वारा फरवरी में सत्ता
से हटाए जाने के कारण उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल से और कमजोर हो गई है,और उसे कोरोना वायरस के
विनाशकारी प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पिछले महीने संक्रमण के दैनिक मामले और मौत के
मामले घटे थे।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बहस्पतिवार को कोविड-19 के 2,635 मामले दर्ज किए जिससे महामारी शुरू होने के बाद
से अब तक के कुल मामले 3,83,514 हो गए। वहीं 113 मरीजों की मौत के बाद मृतक संख्या 14,850 हो गई।
वैश्विक आंकड़ों का संकलन करने वाली वेबसाइट “अवर वर्ल्ड इन डेटा” के मुताबिक देश की 5.4 करोड़ की आबादी
में से करीब 8.2 प्रतिशत को टीके की एक खुराक मिल चुकी है।