नई शिक्षा नीति में ज्ञान एवं प्रज्ञा का समावेश

asiakhabar.com | August 28, 2021 | 4:21 pm IST
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-डॉ दिलीप अग्निहोत्री-
वर्तमान केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए हैं। इसके दृष्टिगत गत वर्ष नई शिक्षा नीति लागू की
गई थी। विगत एक वर्ष में इस दिशा में प्रभावी प्रगति हुई है,जबकि इस अवधि में कोरोना संकट का प्रकोप रहा।
इससे शिक्षण संस्थाओं को बंद करना पड़ा था। फिर भी बड़ी संख्या में शिक्षाविदों एवं अनेक विश्वविद्यालयों ने नई
शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का उल्लेखनीय कार्य किया है। इस क्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि नई
शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी की जरूरत को पूरा करने में सहायक होगी। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए
के उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की।
राष्ट्रपति ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने
मेधावी छात्र छात्राओं को उपाधि एवं सम्मान प्रदान किया। इसके अलावा विश्वविद्यालय के सावित्रीबाई फूले बालिका
छात्रावास का शिलान्यास किया। अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह में राष्ट्रपति ने यहां की अपनी पिछली यात्रा का
उल्लेख किया। चार वर्ष पहले भी राष्ट्रपति इस विश्वविद्यालय में आये थे। उन्होंने कहा कि यह पहला संस्थान
है,जहां दीक्षांत समारोह में मैं दो बार आया हूं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय बाबा साहेब अंबेडकर के विचार

समावेशी विकास के साथ अनुसूचित जाति- जनजाति छात्रों को बेहतर शिक्षा देने में विशेष योगदान कर रहा है।
अनेक प्रयासों से ऐसे छात्रों को शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। अपनी पिछली यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने लखनऊ में बाबा
साहेब अंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया था। उन्होंने कहा कि शील के बिना शिक्षा अधूरी है। शील के
बिना शिक्षा ज्ञान की तलवार अधूरी है। विश्विद्यालय के मूल तत्व में प्रज्ञा, शील और करुणा का प्रतिपादन किया
गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई शिक्षित व्यक्ति जिसका शील अच्छा है, वह अपने ज्ञान का उपयोग लोगों के
कल्याण हेतु करेगा। परन्तु यदि उसका शील ठीक नहीं है,तब वह अपने ज्ञान का उपयोग लोगों के अकल्याण में
करेगा। जिन्हें स्वार्थ के अतिरिक्त और कुछ नहीं दिखता है, जिन्हें थोड़ा भी परमार्थ करना नहीं आता है, ऐसे लोग
केवल शिक्षित हो गए, तो क्या लाभ होगा। उन्होंने भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र
लखनऊ का इस विश्वविद्यालय के साथ तालमेल बनाने का सुझाव दिया। रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को एक शिक्षा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के अभियान का शुभारम्भ
किया गया है। यह शिक्षा नीति युवा पीढ़ी को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के
अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। सामाजिक न्याय और
व्यक्तिगत उन्नति के लिए शिक्षा ही सबसे प्रभावी माध्यम होती है। सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों से प्रेरणा प्राप्त
करनी चाहिए। आधुनिक विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल का प्रयास करना चाहिए। सभी
विद्यार्थी एवं शिक्षक पूरी निष्ठा से कार्य करें तो यह राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करना संभव होगा।
राष्ट्रपति ने बालिकाओं की शिक्षा व स्वावलंबन का स्वागत किया। कहा कि बेटियां समाज और देश का गौरव पूरे
विश्व में बढ़ा रही हैं। ओलम्पिक खेलों में बेटियों के प्रदर्शन से पूरे देश में गर्व की भावना का संचार हुआ है।
दीक्षांत समारोह में भी पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या अधिक है। इस परिवर्तन को एक स्वस्थ समाज और
उन्नत राष्ट्र की दिशा में बढ़ते हुए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। विद्यार्थियों को सचेत और जागरूक रहते
हुए आज के अत्यन्त गतिशील वैश्विक परिदृश्य में अपना स्थान बनाना है। बेहतर समाज और अपने देश के
निर्माण में योगदान देना है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत में बहुत ही अच्छा स्टार्ट अप ईको सिस्टम है। देश
में लगभग सौ यूनिकॉर्न यानी ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनमें से प्रत्येक का मूल्यांकन एक बिलियन डॉलर से अधिक है।
उनका मार्केट कैपिटलाइजेशन कुल मिलाकर लगभग अठारह लाख करोड़ रुपये है। यूनिकॉर्न्स की कुल संख्या के
आधार पर आज भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
रामनाथ कोविंद ने अमृत महोत्सव में विद्यार्थियों की भागीदारी का आह्वान किया। कहा कि देश में चल रहे
आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में वहां उपस्थित विद्यार्थीगण अवगत होंगे। किसी न किसी रूप में भागीदारी भी
कर रहे होंगे। इससे उनको राष्ट्रीय आंदोलन की जानकारी मिलेगी। राष्ट्रभाव का जागरण होगा। राष्ट्रपति रामनाथ
कोविंद, राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश
सैनिक स्कूल लखनऊ के हीरक जयन्ती वर्ष के समापन समारोह में भी शामिल हुए। यहां राष्ट्रपति ने डाॅ.
सम्पूर्णानन्द की प्रतिमा का अनावरण,डाॅ सम्पूर्णानन्द प्रेक्षागृह का लोकार्पण,कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश
सैनिक स्कूल लखनऊ की क्षमता दोगुनी किए जाने की परियोजना एवं बालिका छात्रावास का शिलान्यास तथा डाक
टिकट का विमोचन भी किया। कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ देश का पहला सैनिक
स्कूल है। इसका अनुकरण कर रक्षा मंत्रालय की ओर सो देश के विभिन्न स्थानों पर अन्य सैनिक स्कूलों की
स्थापना की गई। बालिकाओं को सैनिक स्कूलों में प्रवेश देने के लिए उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल को देश का पहला
सैनिक स्कूल होने का गौरव प्राप्त है। इस विद्यालय के भूतपूर्व छात्र कैडेट कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय को देश के

सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।साठ वर्षों में इस विद्यालय द्वारा अनेक यादगार
उपलब्धियां अर्जित की गई हैं।
विद्यालय ने अपनी स्थापना से अभी तक लगभग चार हजार छात्र सैनिकों को प्रशिक्षित किया है। जिनमें एक
हजार से अधिक छात्र भारतीय सशस्त्र सेनाओं में अधिकारी बनकर देश की सेवा में संलग्न और सेना के उच्च पदों
पर सुशोभित हैं। इसके अतिरिक्त यहां के छात्र प्रशासनिक अधिकारी, कुशल चिकित्सक,श्रेष्ठ न्यायविद,उद्योगपति,
राजनेता इत्यादि के रूप में विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल लखनऊ की क्षमता को
दोगुना किए जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के छात्र
छात्राओं को सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने का उचित अवसर प्राप्त हो सकेगा। उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल
सोसाइटी के अन्तर्गत जनपद गोरखपुर में एक और सैनिक स्कूल की स्थापना की जा रही है।


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