तोक्यो में भारतीय हॉकी टीम की कामयाबी के बाद कोच रीड की नजरें कई नये लक्ष्यों पर

asiakhabar.com | August 27, 2021 | 4:59 pm IST

ईशांत गुप्ता

नई दिल्ली। तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद भारतीय पुरूष
हॉकी टीम की नजरें आने वाले वर्षों में कई नई उपलब्धियों पर है और कोच ग्राहम रीड के अनुसार उसकी तैयारी
अगले महीने से शुरू हो जायेगी। भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने 41 साल का इंतजार खत्म करते हुए तोक्यो ओलंपिक
में कांस्य पदक जीता। भविष्य की योजनाओं के बारे में रीड ने कहा,‘‘ हमने कुछ मानदंड तय किये हैं। हमें
एशियाई खेलों, एफआईएच प्रो लीग, राष्ट्रमंडल खेल, 2023 हॉकी विश्व कप और पेरिस ओलंपिक खेलना है।’’
उन्होंने हॉकी इंडिया की पॉडकास्ट सीरिज ‘हॉकी ते चर्चा’ में कहा, ‘‘लक्ष्य तय हो चुके हैं लेकिन उन तक पहुंचने के
लिये तैयारियां करनी होगी। ये तैयारियां कैसे होंगी, अगले महीने तक तय हो जायेगा।’’ आस्ट्रेलियाई कोच ने कहा

कि वह खिलाड़ियों से फीडबैक लेंगे और दूसरी टीमों की तैयारियों का भी विश्लेषण करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमें
ओलंपिक से सभी मैचों का विश्लेषण करना है और देखना हैं कि दूसरी टीमें क्या कर रही हैं। टूर्नामेंट के बीच में
यह नहीं हो पाता क्योंकि पूरा फोकस अगले प्रतिद्वंद्वी पर रहता है।’’ रीड ने कहा, ‘‘हमें अपने खिलाड़ियों से भी
फीडबैक लेना है कि वे क्या सोचते हैं। हमें सीखने की गति में तेजी लानी होगी ताकि हर समय दुनिया की सर्वश्रेष्ठ
टीमों में बने रहें।’’ रीड ने आस्ट्रेलिया के लिये बतौर खिलाड़ी 1992 बार्सीलोना ओलंपिक में रजत पदक जीता था
और मुख्य कोच के रूप में भारतीय टीम के साथ कांस्य पदक जीता। ओलंपिक से पहले भारत की तैयारियां कोरोना
महामारी के कारण बाधित हुई लेकिन रीड का मानना था कि बेंगलुरू में शिविर के दौरान साथ रहने से खिलाड़ियों
का आपसी तालमेल बेहतर हुआ और एक ईकाई के रूप में अच्छे प्रदर्शन में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बराबर
कहता रहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों का जिस तरह से मिलकर उन्होंने सामना किया है, यह खराब दौर में एक
ईकाई के रूप में उनके लिये काफी काम आयेगा।’’ रीड ने कहा, ‘‘कांस्य पदक का मैच ही देख लें। हम 1.3 से पीछे
थे और ऐसे में यह कहकर घुटने टेक देना आसान था कि यह हमारा दिन नहीं था लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।
हमने जुझारूपन की बानगी पेश की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले दिन से ही खिलाड़ियों में यह मानसिकता पैदा करने
की कोशिश कर रहा हूं कि हार के बाद यह आत्ममंथन नहीं करना है कि आप क्या कर सकते थे बल्कि आगे क्या
कर सकते हैं, यह सोचना है। आप भविष्य बदल सकते हैं लेकिन अतीत नहीं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ हार के बाद
हमने तय किया था कि उस नतीजे के बारे में अब नहीं सोचना है। हमने उसके बाद से लगातार अच्छा प्रदर्शन
किया।’’


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