क्या प्रधानमंत्री स्तर के किसी राजनीतिज्ञ को रातोंरात उगाई गई पेड़ों की नकली कतार से भ्रम में डालकर खुश किया जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर ‘हां’ होगा, यदि प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू हों और ऐसा कर दिखाने वाले मुख्यमंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा।
डॉ. शर्मा सन् 1952 से मध्य प्रदेश के गठन (1956) तक भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री रहे। बाद में विभिन्न राज्यों के राज्यपाल पदों से होते हुए उपराष्ट्रपति और फिर राष्ट्रपति के शीर्ष पद तक पहुंचे। उनके बारे में यह प्रचलित था कि वे ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जो ‘कुछ भी कर सकने में माहिर’ थे। यह किस्सा उनकी इसी काबिलियत की कहानी कहता है।
हुआ यूं था कि डॉ. शर्मा कई कारणों से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के करीबी थे। दोनों की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई थी, दोनों की विचारधारा एक-सी थी, दोनों फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे आदि-आदि। इन कारणों से नेहरू प्रधानमंत्री रहते हुए अक्सर भोपाल आ जाया करते थे।
डॉ. शर्मा भी नेहरू के स्वागत- सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। मगर एक बार तो अनूठास्वागत करने के चक्कर में डॉ. शर्मा ने गजब ही कर डाला। हुआ यूं कि उनके आग्रह पर प्रधानमंत्री नेहरू भोपाल के पास स्थित गांव खजूरी में कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम के शुभारंभ के लिए आने को राजी हो गए। भोपाल से खजूरी तक की सड़क नेहरू के आने से एक दिन पहले तक कच्ची, धूल भरी और बहुत ऊबड़खाबड़ थी।
ऐसे में प्रधानमंत्री का आना भोपाल स्टेट के लिए शर्मनाक होता। यह सोचकर डॉ. शर्मा ने अपने विश्वस्त अधिकारियों की टीम लगाई और रातोंरात सड़क को न सिर्फ समतल करवा दिया, बल्कि रात में ही उसके आसपास बड़े-बड़े पेड़ उगवा दिए! खजूरी गांव सहित आसपास के भोले ग्रामीण सुबह यह देखकर दंग रह गए कि रात में अचानक इतने बड़े पेड़ कैसे उग आए!
दरअसल, ये अस्थायी पेड़ थे और रात में गड्ढा खोदकर सड़क किनारे इस तरह लगाए गए, जैसे बरसों से उगे हुए हों। अगले दिन सुबह जब नेहरू पहुंचे तो अच्छी सड़क और उसके किनारे उगे बड़े-बड़े हरे पेड़ देख खुश हो गए। भाषण देकर जब नेहरू खजूरी गांव से लौट गए तो रात में डॉ. शर्मा की टीम ने सारे पेड़ भी उखड़वा लिए और सड़क फिर वीरान हो गई। सुबह उठे ग्रामीण फिर हैरान थे कि पेड़ आखिर गए तो गए कहां?