आसमान में ऊंची उड़ान भरते हवाई जहाज को तुमने कई बार देखा ही होगा। पर क्या तुम यह जानते हो
कि इसे कब बनाया था और किसने बनाया था? आखिर किसके मन में इसे बनाने का ख्याल आया था।
इसे बनाने के पीछे क्या प्रेरणा थी? नहीं पता, कोई बात नहीं। आज हम तुम्हें बताते हैं हवाईजहाज का
इतिहास।
इसे सबसे पहले बनाया था राइट ब्रदर्स ने। विल्वर और ओरविल में केवल चार साल का अंतर था। जिस
समय उन्हें हवाई जहाज बनाने का ख्याल आया, उस समय विल्वर सिर्फ 11 साल का था और ओरविल
की उम्र थी 7 साल। हुआ यूं कि एक दिन उनके पिता उन दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए।
यह खिलौना बांस, कॉर्क, कागज और रबर के छल्लों का बना था। इस खिलौने को उड़ता देख विल्वर
और ओरविल के मन में भी आकाश में उड़ने का विचार आया। उन्होंने निश्चय किया कि वे भी एक ऐसा
खिलौना बनाएंगे।
इसके बाद वे दोनों एक के बाद एक कई मॉडल बनाने में जुट गए। अंततः उन्होंने जो मॉडल बनाया,
उसका आकार एक बड़ी पतंग सा था। इसमें ऊपर तख्ते लगे हुए थे और उन्हीं के सामने छोटे-छोटे दो
पंखे भी लगे थे। जिन्हें तार से झुकाकर अपनी मर्जी से ऊपर या नीचे ले जाया जा सकता था। बाद में
इसी यान में एक सीधी खड़ी पतवार भी लगायी गयी। इसके बाद राइट भाइयों ने अपने विमान के लिए
12 हॉर्सपावर का एक पेट्रोल इंजन बनाया और इसे वायुयान की निचली लाइन के दाहिने और निचले
पंख पर फिट किया और बाईंओर पायलट के बैठने की सीट बनाई।
राइट बंधुओं के प्रयोग काफी लंबे समय तक चले। तब तक वे काफी बड़े हो गये थे और अपने विमानों
की तरह उनमें भी परिपक्वता आ गयी थी। आखिर में 1903 में 17 दिसम्बर को उन्होंने अपने वायुयान
का परीक्षण किया। पहली उड़ान ओरविल ने की। उसने अपना वायुयान 36 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाया।
इसी यान से दूसरी उड़ान विल्वर ने की। उसने हवा में लगभग 200 फुट की दूरी तय की। तीसरी उड़ान
फिर ओरविल ने और चैथी और अन्तिम उड़ान फिर विल्वर ने की। उसने 850 फुट की दूरी लगभग 1
मिनट में तय की। यह इंजन वाले जहाज की पहली उड़ान थी। उसके बाद नये-नये किस्म के वायुयान
बनने लगे। पर सबके उड़ने का सिद्धांत एक ही है।