प्रकृति के करीब जाना चाहते है तो लें ट्रैकिंग का मजा

asiakhabar.com | August 19, 2021 | 5:44 pm IST

पर्यटन स्थलों की सैर भला किसे पसंद नहीं मगर इसमें थोड़ा रोमांच जुड़ जाएं तो सोने पर सुहागा।
अगर आप भी सैर में थोड़ा रोमांच चाहते हैं, तो यह बेहतरीन समय हैं ट्रैकिंग का। हिमालय की पहाड़ियां,
नीला आकाश, प्राकृतिक परिदृश्य और बिना बाधा के पहाड़ों की बुलंद चोटियां। ये सब ट्रैकिंग, शौकीनों
को लुभाती है। ऐसी कई जगह हैं, जहां आप ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं। प्रकृति के करीब जाना है तो
ट्रैकिंग पर निकल जाइए। आइए हम भी चलते हैं आपके साथ।

सोलंग वैली:- मनाली के नजदीक यह वैली 2, 560 मीटर की ऊंचाई पर है। सोलंग वैली में बर्फ से ढ़की
हिमालय की पहाड़ियों का खूबसूरत दृश्य देखते बनता है। मनाली से सोलंग तक 16 किलोमीटर तक
ट्रैकिंग कर पहुंचना बेहद रोमांचकारी होता है। ट्रैकिंग के दौरान रास्ते के खूबसूरत नजारे और देवदार के
जंगलों की खूबसूरती को निहार सकते हैं। इसके अलावा आप सेब के बाग, आर्किड के फूलों की खूबसूरती,
गांवों का जीवन ओर हर तरफ बिखरी हरियाली आपके ट्रैकिंग के अनुभव को सुखद बना देगी। सोलंग
पहुंच कर दूसरी कई गतिविधियों का हिस्सा बन सकते हैं- जैसे पैराग्लाइडिंग, जोर्बिंग और घोड़े की सवारी
वगैरह।
नागर:- नागर की ट्रैकिंग कुल्लू जिले में अनोखा अनुभव देती हैं। यह सफर मलाना गांव तक जाकर
खत्म होता हैं। इसमें तीन दिन लगते हैं। इस ट्रैकिंग में न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता का मजा हैं, बल्कि
रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोगों का स्वार्थरहित सेवाभाव मन को छू लेता हैं। रास्ते में पड़ने वाले ये
गांव कैंपिंग के लिए बेहतरीन होते हैं। मगर आप ट्रैकिंग के दौरान सावधान रहे।
सैंडकफू:- यह पश्चिम बंगाल की सबसे ऊंची चोटी हैं। लगभग 3, 636 मीटर ऊंची यह चोटी बेहतरीन
ट्रैकिंग के लिए जानी जाती है। यह उन जगहों में से एक हैं जहां ट्रैकर्स को जादुई दृश्य देखने को मिलते
हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा, लोटस और मकालु भारत, नेपाल और भूटान
तक हैं। यह ट्रैकिंग सबसे लंबी है इसलिए आप अपने साथ सभी जरूरी सामान रखें। मानेभंजन से शुरू
होने वाली यह ट्रैकिंग एक घंटे के सफर के बाद दार्जलिंग जाकर रूकती हैं। चित्रे पहुंचने में लगभग चार
घंटे का समय लगता है। कालीपोखरी की तरह ट्रैकिंग बेहद ही खूबसूरत है। इस रास्ते में आप कई रंग-
बिरंगे व दुर्लभ पक्षी देख सकते हैं। दिन के अंत में कालीपोखरी की छोटी से काली झील में पास पहुंचते
हैं। यह बौद्धों का बेहद ही पवित्र झील है। माना जाता हैं यहां का पानी कभी जमता नहीं।
रूपकुंड:- 4, 463 मीटर की ऊंचाई पर यह बेहद ही चुनौतीपूर्ण ट्रैक है। रूपकुंड और स्केलेटल झील ऐसी
जगह हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। 1942 में स्केलेटन झील में कई मानव कंकाल मिले थे।
इसलिए इसका नाम स्केलेटन (कंकाल) झील पड़ा। बर्फ से ढके पहाड़ यहां आने वाले ट्रैकर्स को चुनौती
देते प्रतीत होते हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में ट्रैकर्स का आनंद लिया जा सकता हैं। बेहतरीन समय
अक्टूबर-नवम्बर है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *