मनीष गोयल
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मादक पदार्थ की आपूर्ति के आरोप में गिरफ्तार
किए गए एक नेपाली नागरिक को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि देश में मादक पदार्थ के दुरुपयोग की
समस्या बढ़ रही है जिसके आर्थिक मुद्दों से लेकर सामाजिक विघटन तक कई परिणाम हैं।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (एनडीपीएस)
कानून के तहत अपराधों की तुलना आईपीएस के दायरे में आने वाले अपराधों से नहीं की जा सकती।
अदालत ने कहा, ‘‘देश में मादक पदार्थ के दुरुपयोग की समस्या काफी ज्यादा है और आर्थिक मुद्दों से लेकर
सामाजिक विघटन तक इसके कई परिणाम देखे जा सकते हैं।’’
मौजूदा मामले में आरोपी को स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की टीम ने एनडीपीएस कानून के तहत अपराधों में
गिरफ्तार किया। उसे एक सूचना मिली थी कि ‘‘पीले रंग के कपड़े पहने हुए एक नेपाली नागरिक’’ अपने ग्राहक को
मादक पदार्थ देने एक मेट्रो के पास आएगा।
अदालत ने कहा कि आरोपी ने यह स्वीकार किया था कि उसके बैग में चरस थी जो उसने अपने ग्राहक को बेच
दी। उसने कहा कि इस मामले में आरोप अभी तय किए जाने हैं और चूंकि आरोपी नेपाल का नागरिक है तो उसकी
‘‘समाज में कोई जड़ नहीं है और उसे संभावित खतरा माना जा सकता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि
वह फिर से ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।