दूर जंगल में एक पेड़ पर चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहती थी। उसी पेड़ पर एक शैतान बंदर भी रहता
था। जो रोजाना चिड़िया और उसके बच्चों को तंग करता था। चिड़िया का पुराना घोंसला तेज आंधी से
टुट चुका था। जिसके बाद अब वो नया घोंसला बनाने में लगी हुई थी जब वो सवेरे उठकर काम पर
जाती तो शैतान बंदर उसके बच्चों की खुब खिल्ली उड़ाता उनको पेड़ से गिराने की धमकी देता काफी
दिन तक यूं ही चलता रहा। एक दिन चिड़िया के बच्चे ने कहा कि मां ये बंदर हमें रोज परेशान करता हैं
हमें डर लगता है जब आप घर से चली जाती हो। तो चिड़िया मां बोली कि ड़रने की कोई जरूरत नहीं है
जब हमारा खुद का घोंसला होगा तो हम उसमें शांति से रहेंगे।
दिन बीतते गए चिड़िया ने तिनका तिनका जोड़कर घोंसला तैयार कर लिया। चिड़िया घोंसले में अपने
बच्चों के साथ शांति से रहने लगी। ये देखकर उस बंदर को और गुस्सा आया और बंदर ने चिड़िया से
कहा ही ही ही घोंसला एक हवा के झौंके से नीचे गिर जाएगा फिर तुम क्या करोगी। चिड़िया ने उस
समय कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन रात को अचानक तेज आंधी आई और झम झम तेज बारिश होने
लगी। चिड़िया तो अपने बच्चों को लेकर घोंसले के अंदर छिप कर बैठ गई। और बंदर यूं ही बारिश में
भिगता रहा और उसे छिपने के लिए कहीं जगह नहीं मिली। वो पेड़ के नीचे बैठकर अपने आप को
बारिश से बचा रहा था और ठंड़ से ठिठुर रहा था। तब चिड़िया ने कहा मैं तो एक छोटी सी चिड़िया हुं
जब मैं मेहनत करके घर बना सकती हूं तो तुम तो मुझसे बड़े हो अगर मेहनत करो तो बहुत कुछ कर
सकते हो।
तो हमें इससे ये सीख मिलती है कि हमें किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। बल्कि मेहनत करने वालों
से सीख लेनी चाहिए ताकि हम भी जीवन में मेहनत करके आगे बढ़ सकें।