एजेंसी
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का जीएसएलवी रॉकेट
द्वारा भू्-अवलोकन उपग्रह को स्थापित करने का मिशन रॉकेट के 'क्रायोजेनिक चरण (कम तापमान बनाकर रखने
संबंधी)' में खराबी आने के कारण पूरी तरह से सम्पन्न नहीं किया जा सका। इसरो ने बृहस्पतिवार को यह
जानकारी दी।
फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का यह दूसरा मिशन था।
एजेंसी के अनुसार, 51.70 मीटर लंबे रॉकेट जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 ने 26 घंटे की उलटी गिनती के समाप्त
होने के तुरंत बाद सुबह पांच बजकर 43 मिनट पर श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉंच पैड (प्रक्षेपण स्थल) से सफलतापूर्वक
उड़ान भरी थी।
'मिशन कंट्रोल सेंटर' के वैज्ञानिकों ने बताया कि उड़ान भरने से पहले, 'लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड' ने योजना के
अनुसार सामान्य उड़ान भरने के लिए मंजूरी दी थी। पहले और दूसरे चरण में रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा।
कुछ मिनटों बाद हालांकि, वैज्ञानिकों को चर्चा करते देखा गया और रेंज ऑपरेशन्स निदेशक द्वारा मिशन कंट्रोल
सेंटर में घोषणा की गई कि '' कुछ खराबी के कारण मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।''
'मिशन कंट्रोल सेंटर' में रेंज ऑपरेशन्स निदेशक की घोषणा की, '' क्रायोजेनिक चरण में, प्रदर्शन में विसंगति देखी
गई। मिशन पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो सका।''
बाद में इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने भी इस बात की पुष्टि की।
इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक
आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना,
चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना था।