विनय गुप्ता
नई दिल्ली। राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जातियों की पहचान करने और सूची
बनाने का अधिकार बहाल करने वाले ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ बुधवार को चर्चा एवं पारित करने
के लिए राज्यसभा में पेश कर दिया गया।
पहली बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई वैसे ही संसदीय कार्यमंत्री
प्रह्लाद जोशी ने प्रश्न काल स्थगित कर ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा कराने का प्रस्ताव
रखा जिस पर सदन ने सहमति जताई।
इसके बाद सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने संशोधन का प्रस्ताव पेश किया और कहा कि इस
विधेयक पर चर्चा करने के लिए सर्वानुमति बनी है, जो इतिहास की रचना करने की दिशा में एक कदम हैं।
केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी के कल्याण के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री कुमार
ने कहा, ‘‘सरकार ओबीसी के कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है और इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं।’’
हाल में अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटे में ओबीसी छात्रों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था का
उल्लेख करते हुए कुमार ने कहा कि इससे लगभग 4,000 ओबीसी छात्रों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक देश के संघीय ढांचे की रक्षा करने में लंबा सफर तय करेगा। राज्यों को ओबीसी की
सूची में अपने निर्णय लेने में सशक्त करेगा और ओबीसी आबादी के लिए शिक्षा और नियुक्तियों में दी गई
रियायत के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चत करेगा।’’
ज्ञात हो कि लोकसभा ने मंगलवार को चर्चा के बाद इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। निचले सदन में इस
संविधान संशोधन विधेयक पर मतविभाजन के दौरान पक्ष में 385 मत पड़े और विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा।