नई दिल्ली। ऐसाचैम और एमआरएसएस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सालाना पैदा होने वाले दूध, फल व सब्जियों में से तकरीबन आधा बर्बाद हो जाता है। इस बर्बादी से हर साल देश को करीब साढे चार सौ अरब डॉलर का नुकसान होता है।
देश में कोल्ड स्टोरेज तकनीकों और उसके संचालन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की कमी इस बर्बादी की मुख्य वजह है।
देश में तकरीबन 6,300 कोल्ड स्टोरेज इकाइयां हैं। इनकी कुल क्षमता 3.01 करोड़ टन खाद्य पदार्थ रखने की है। यह आंकड़ा देश में उत्पादित होने वाले कुल खाद्य पदार्थो का महज 11 फीसद है।
इनके संचालन के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की कमी, कोल्ड स्टोरेज की अप्रचलित तकनीकें और अनियमित बिजली सप्लाई के चलत ये देश में कारगर नहीं हो रही हैं।
दक्षिण भारत में खराब स्थिति
- इस बर्बादी में 60 फीसद हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब की है, लेकिन दक्षिण भारत में हालात बेहद खराब हैं। यहां का मौसम उत्तर भारत की तुलना में गर्म और उमस भरा है। यही वजह है कि कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स की कमी की वजह से यहां दूध, फल व सब्जियों ज्यादा बर्बाद होती हैं।
- देश में 2014 में किराना व्यापार 500 अरब डॉलर का था। 2020 तक इसके 847.9 अरब डॉलर होने की संभावना है। ऐसे में जरूरी है कि इस उद्योग में खाद्य पदार्थो को एकत्र करने, स्टोर करने और एक से दूसरी जगह भेजने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए। तभी यह विक्रेताओं और खरीदारों के लिए किफायती होगा।
- क्या है कोल्ड स्टोरेज यूनिट – ऐसे खाद्य पदार्थ जो सामान्य तापमान में अधिक दिनों तक ताजे नहीं रह पाते हैं, उन्हें कई दिनों-महीनों तक ताजा रखने के लिए विशालकाय कमरों में कई डिग्री कम तापमान में स्टोर किया जाता है। इसे कोल्ड स्टोरेज कहते हैं।