सारांश गुप्ता
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस और चीन की तरफ से पेश एक प्रस्ताव को
खारिज कर दिया है जो बोस्निया में विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने वाले 1995 के शांति समझौते के
कार्यान्वयन की देखरेख करने वाले अंतर्राष्ट्रीय उच्च प्रतिनिधि की शक्तियों को तुरंत छीन लेता और एक वर्ष के
भीतर इस पद को पूरी तरह से समाप्त कर देता।
मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के लिए बृहस्पतिवार को उसके पक्ष में न्यूनतम नौ मत नहीं पड़े। प्रस्ताव के
पक्ष में महज दो मत पड़े जो रूस और चीन के थे और परिषद के 13 अन्य सदस्यों ने मतदान नहीं किया।
खारिज किए गए प्रस्ताव में कहा गया था कि 1997 में डेटन शांति समझौते को लागू करने के लिए एक सम्मेलन
में उच्च प्रतिनिधि को दी गई शक्तियों की “अब जरूरत नहीं है क्योंकि बोस्निया पक्षों ने प्रगति हासिल कर ली है।”
इसमें जर्मनी के उच्च प्रतिनिधि क्रिश्चियन श्मिट की नियुक्ति “31 जुलाई, 2022” तक ही किए जाने के साथ उच्च
प्रतिनिधि कार्यालय को बंद किए जाने” का भी समर्थन किया।
मतदान से पहले, संयुक्त राष्ट्र में रूस के उपराजदूत दिमित्री पोलिएंस्की ने उच्च प्रतिनिधि पर ‘‘उत्तर औपनिवेशिक
शक्तियों के साथ” “जार’’ (सर्वोच्च शासक) की तरह बनने का आरोप लगाया और कहा कि सुरक्षा परिषद की मंजूरी
के बिना श्मिट का चुनाव वैध नहीं है।
अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ ‘डेटन समझौता’ ने बोस्निया में दो अलग-अलग इकाइयां स्थापित की थी – एक
जिसे बोस्निया के सर्ब चलाते हैं और दूसरा जिसपर देश के बोस्नियाकों,जो ज्यादातर मुस्लिम हैं और इसके क्रोट्स
(नस्ली समूह) का वर्चस्व होगा।
उच्च प्रतिनिधि की शक्तियों की बोस्निया के सर्ब आलोचना करते हैं जिनके रूस के साथ नजदीकी संबंध हैं। उनका
आरोप है कि उच्च प्रतिनिधि की उन शक्तियों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती जो तत्काल प्रभाव वाली होती
हैं। उच्च प्रतिनिधि के कार्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से न्यायाधीशों, सिविल सेवकों और संसद सदस्यों सहित
दर्जनों अधिकारियों को बर्खास्त किया है।