अर्पित गुप्ता
भारत में कोरोना की दूसरी लहर भले ही काफी कम हो गई हो लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं है। अभी भी
देशभर में प्रतिदिन 40 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और कुछ राज्यों में मामले धीरे-धीरे बढ़ने भी
लगे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के सामने आ रहे नए वेरिएटंस खतरे को बढ़ा रहे हैं। डेल्टा के बाद डेल्टा
प्लस और अब डेल्टा का ही भाई माना जा रहा ‘कप्पा’ वेरिएंट भी मिला है, जिसे काफी घातक माना जा रहा है।
दूसरी ओर कोरोना के तमाम नियम-कानूनों को धत्ता बताते हुए खासकर पर्वतीय इलाकों में जिस प्रकार लोगों की
भीड़ बढ़ रही है, वह आने वाले किसी बड़े संकट को न्यौता देती प्रतीत हो रही है। दूसरी लहर का प्रकोप कम होने
के बाद भारत में जहां विभिन्न चरणों में अनलॉक की प्रक्रिया जारी है, वहीं हाल के दिनों में दो दर्जन से भी ज्यादा
देशों में कोरोना संक्रमण में काफी तेजी आई है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी भरे शब्दों स्पष्ट कह रहा
है कि इस समय किसी भी देश को पूर्ण प्रतिबंध हटा लेने की मूर्खता नहीं करनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ का कहना है
कि अभी जो देश जल्दबाजी में अनलॉक करेंगे या बचाव के नियमों में ढ़ील देंगे, उनके लिए यह बहुत बड़ा
मूर्खतापूर्ण कदम साबित हो सकता है। भारत में लापरवाहियों का अंजाम हम कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर के
रूप में भुगत चुके हैं और अब लगातार मिल रही तीसरी लहर की चेतावनियों के बावजूद फिर से देशभर में बेफिक्री
और लापरवाहियों का जो आलम देखा जा रहा है, उसके दृष्टिगत डब्ल्यूएचओ की चेतावनी की अनदेखी के गंभीर
परिणाम हो सकते हैं।
कोरोना की तीसरी लहर की चिंता के बीच कोरोना के नए-नए वेरिएंट मुसीबत बन रहे हैं। एक के बाद एक नए-नए
वेरिएंट कहर मचा रहे हैं और भयावहता के मामले में सभी एक-दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कोरोना
वायरस के स्ट्रेन का नाम ग्रीक अल्फाबेटिकल लेबल्स पर रखा है और उसी के अनुरूप भारत में कोरोना के वेरिएंट
स्ट्रेन का नाम डेल्टा तथा कप्पा पर रखा जाता है। देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट प्रमुख रूप
से जिम्मेदार रहा और अब तीसरी लहर के लिए कौन-कौनसे वेरिएंट जिम्मेदार होंगे और इस लहर को कितना
भयावह बनाएंगे, अभी कहा जा नहीं जा सकता। शरीर में एंटीबॉडी को चकमा देने में सक्षम कोरोना का घातक
लैंबडा वेरिएंट पिछले करीब एक महीने में 30 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। हालांकि भारत में अभी तक
लैंबडा वेरिएंट का भले ही कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन जिस प्रकार डेल्टा के बाद डेल्टा प्लस और अब
कप्पा स्ट्रेन के मामले मिले हैं, ऐसे में कोरोना के मामलों को लोगों द्वारा हल्के में लिया जाना खतरनाक हो सकता
है।
दरअसल यह वायरस लगातार अपना रूप बदलकर बड़ी आबादी को ऐसे निशाना बनाने लगा है कि फिर संभलने के
लिए ज्यादा समय नहीं मिलता। हाल के दिनों में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में तीन बड़े बदलाव (म्यूटेशन)
एल452आर, ई484क्यू तथा पी681आर हुए हैं। इनमें सबसे प्रमुख म्यूटेशन एल452आर है, जिसमें प्रोटीन की
452वीं स्थिति पर ल्यूसीन प्रोटीन अर्जिनाइन में बदल गई है। एल452आर को इम्यून एस्केप म्यूटेशन माना जाता
है। स्पाइक प्रोटीन जीनोम के 484वें क्रम पर ग्लूटामिक एसिड बदलकर ग्लूटामाइन हो गया है। यह बदलाव इसे
इंसानी रिसेप्टर एसीई-2 से जुडने में ज्यादा सक्षम बनाता है और होस्ट के प्रतिरोधी तंत्र में सेंध लगाने में ज्यादा
सक्षम बनाता है। वायरस के स्पाइक जीनोमक्रम 681 में भी म्यूटेशन हुआ है। यहां मौजूद प्रोलाइन प्रोटीन की जगह
अर्जिनाइन प्रोटीन आ गई है, इस बदलाव का असर इसकी संक्रामकता को बढ़ाता है।
पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के कुछ मामले मिले हैं, जिसे बी.1.617.2 स्ट्रेन भी
कहा जाता है और अन्य स्ट्रेन की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक माना जाता है। अब जिस कप्पा वेरिएंट
(बी.1.617.1 स्ट्रेन) के मामले सामने आए हैं, उसे डेल्टा प्लस वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक बताते हुए स्वास्थ्य
विशेषज्ञों का कहना है कि यह नया वेरिएंट बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि कप्पा वेरिएंट को लेकर
कई शोध किए जा रहे हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक इन शोधों के जरिये ही कप्पा वेरिएंट को लेकर और
जानकारियां सामने आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार कप्पा वेरिएंट डेल्टा वायरस का ही बदला स्वरूप है, जो
डेल्टा प्लस की तरह ही खतरनाक है। यह बी.1.617 वंश के वेरिएंट के म्यूटेशन से बना है, जो पहले भी देश में
पाया जा चुका है।
कोविड के कप्पा स्वरूप के बारे में नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल का कहना है कि यह स्वरूप फरवरी-मार्च
में भी देश में मौजूद था लेकिन उस समय इसकी तीव्रता बहुत कम थी। सबसे पहले महाराष्ट्र में इसका पता
दिसम्बर 2020 में चला था जबकि डेल्टा वेरिएंट महाराष्ट्र में ही अक्तूबर 2020 में सामने आया था। कोरोना
वायरस की पैंगो लीनेज वह वंशावली है, जिसका नोमेनकल्चर पैंगोलिन में होता है और कोरोना के ये दोनों ही
वेरिएंट पैंगो लीनेज बी.1.617 के म्यूटेशन हैं। डेल्टा को बी.1.617.2 और कप्पा को बी.1.617.1 म्यूटेशन कहा
जाता है। बी.1.617 के कई म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से ई484क्यू तथा एल452आर के कारण ही इसे ‘कप्पा
वेरिएंट’ कहा गया है। डेल्टा प्लस को भारत में ‘वेरिएंट ऑफ कंर्सन’ घोषित किया गया है जबकि कप्पा को
डब्ल्यूएचओ द्वारा ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया गया है अर्थात् इसमें यह पता लगाने के प्रयास किए जा रहे
हैं कि यह किस प्रकार अपना रूप बदल रहा है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कप्पा वेरिएंट दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक है
लेकिन डेल्टा प्लस से कम खतरनाक है। भारत में डेल्टा वेरिएंट के कारण कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर आई
थी। दरअसल इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है और मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखते हैं। अब तक
सौ से ज्यादा देशों में इसकी मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। जहां तक डेल्टा प्लस की बात है तो कोरोना का यह
वेरिएंट डेल्टा में म्यूटेशन के बाद ही देखने को मिला है। कोरोना के नए वेरिएट कप्पा के प्रमुख लक्षणों की बात
करें तो इसमें भी डेल्टा प्लस वेरिएंट की ही भांति संक्रमितों में खांसी, बुखार, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ,
दस्त, स्वाद चला जाना इत्यादि प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं और माइल्ड तथा गंभीर लक्षण कोरोना के अन्य
म्यूटेंट्स के लक्षणों की ही भांति होते हैं। हालांकि कुछ मामलों में यह संक्रमण लक्षण रहित भी हो सकता है।
इसलिए बेहतर है कि हल्के लक्षण नजर आने पर भी तत्काल अपने डॉक्टर से परामर्श लें। बहरहाल, कोरोना के
अन्य स्ट्रेन की ही भांति डेल्टा प्लस, कप्पा या ऐसे ही अन्य वेरिएंट्स से बचाव के लिए भी प्रमुख हथियार मास्क
का उपयोग, भीड़-भाड़ से बचाव और साफ-सफाई ही हैं।