नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने गणतंत्र दिवस पर लाल किला में हुई हिंसा के सिलसिले में
कथित तौर पर गैंगस्टर से कार्यकर्ता बने लखा सिधाना को गिरफ्तारी से दिए गए अंतरिम संरक्षण की अवधि
शनिवार को बढ़ा दी और कहा कि वह “उन चीजों में हस्तक्षेप नहीं करेगी जहां मौलिक अधिकार शामिल हों।”
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने दिल्ली पुलिस को सिधाना को 20 जुलाई तक गिरफ्तार नहीं करने का
निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहती कि ‘जेल भरो अंदोलन’ शुरू हो जाए।
सिधाना को पूर्व में तीन जुलाई तक संरक्षण दिया गया था और उसे जांच में शामिल होने का निर्देश दिया गया है।
न्यायाधीश ने यह राहत देते हुए कहा, “ हम नहीं चाहते कि जेल भरो आंदोलन शुरू हो जाए। ये राजनीतिक मुद्दे
हैं। अगर वे (प्रदर्शनकारी) मुद्दे पर जोर देना चाहते हैं तो क्या वे गलत हैं? मैं उन चीजों में हस्तक्षेप नहीं करुंगी
जहां मौलिक अधिकार शामिल हों।”
तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान 26 जनवरी को, ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस से झड़प में
उलझ गए थे और लाल किला में घुसकर उसके गुंबदों पर धार्मिक झंडे फहरा दिए थे तथा कई पुलिसकर्मियों को
घायल कर दिया था।
गिरफ्तारी की आशंका के चलते, सिधाना ने अपने वकीलों जसप्रीत सिंह राय और जसदीप ढिल्लन के माध्यम से
दिल्ली की तीस हजारी अदालत का रुख करते हुए मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया था। उसके वकील
ने कहा कि सिधाना की घटना में कोई भूमिका नहीं है।
पुलिस का पक्ष रख रहे लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि सिधाना ने प्रदर्शनकारियों को लाल किला तक
बुलाया था और वह मामले के षड्यंत्रकर्ताओं में से एक है।
अभियोजक ने कहा कि हिंसा होने के वक्त वह किले के बाहर मौजूद था जिसपर न्यायाधीश ने कहा, “अगर उसकी
मौजूदगी नहीं थी, तो हम इसपर कुछ नहीं कर सकते। अंतरिम संरक्षण 20 जुलाई तक बढ़ाया जाता है।”
सिधाना ने गणतंत्र दिवस हिंसा में संलिप्तता से पूर्व में इनकार किया था। पुलिस के मुताबिक, उसके खिलाफ
डकैती, हत्या और पुलिस पर हमले के 20 से अधिक मामले दर्ज हैं।