ईशांत गुप्ता
बेंगलुरू। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफील्डर हार्दिक
सिंह ने भारत के लिए खेलने का सपना लगभग छोड़ ही दिया था और डच लीग में क्लब करियर बनाने की योजना
बना रहे थे लेकिन उनके रिश्तेदार पूर्व ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह ने उन्हें प्रेरित किया।
हार्दिक ने कहा कि वे ऐसे परिवार से आते हैं जिसके खून में हॉकी है लेकिन शीर्ष स्तर पर सीमित मौकों से उन्हें
हताशा होने लगी थी।
जुगराज अपने समय के दिग्गज ड्रैग फ्लिकर रहे हैं।
पंजाब के जालंधर के समीप खुसरोपुर गांव के रहने वाले 22 साल के हार्दिक ने कहा कि उनका सफर टीम के अपने
साथियों से अलग रहा है।
हार्दिक ने कहा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि ऐसे परिवार का हिस्सा था जिसके डीएनए में हॉकी है। मैं भाग्यशाली था कि
इतने सारे हॉकी खिलाड़ियों के बीच था, मुझे घर के सभी लोगों से सलाह मिलती थी और मेरे परिवार का मेरे
करियर पर गहरा असर रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘14 साल की उम्र में मैं आगे की ट्रेनिंग के लिए मोहाली हॉकी अकादमी चला गया और वहां काफी
जल्दी प्रगति की।’’
हार्दिक ने कहा, ‘‘मैंने सब जूनियर वर्ग में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन शीर्ष स्तर पर मौके कभी नहीं
मिले। 2017 में मैं भारत के लिए खेलने का अपना सपना छोड़ने के कगार पर था और क्लब हॉकी खेलने के लिए
नीदरलैंड जाने का फैसला लगभग कर ही लिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जुगराज सिंह ने मुझे बैठकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा। जुगराज पाजी का मेरे जीवन
पर गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने मेरे जीवन के प्रत्येक हिस्से में मार्गदर्शक की भूमिका निभाई और अब भी ऐसा कर
रहे हैं।’’
हार्दिक ने कहा, ‘‘उनके सुझाव के बाद मैंने और अधिक कड़ी मेहनत की और पसीना बहाया। और अंतत: मेरी कड़ी
मेहनत का नतीजा मिला जब मुंबई में घरेलू टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने जाने के बाद मुझे 2018 एशियाई
चैंपियन्स ट्रॉफी के कोर संभावित खिलाड़ियों में चुना गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद 2018 विश्व कप हुआ जो सोने पर सुहागा था।’’
हार्दिक ने कहा कि भारतीय हॉकी टीम में विभिन्न स्थानों को लेकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है और वह आगामी तोक्यो
खेलों में छाप छोड़ने को प्रतिबद्ध हैं।