जमशेदपुर। 65 वर्षीय लक्ष्मी कालिंदी शहर के आजाद बस्ती रोड नंबर-14 की रहने वाली हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिसिन विभाग में भर्ती हैं। इसलिए नहीं कि वह बीमार हैं, बल्कि अपनी भूख मिटाने के लिए आठ महीने से यहां पड़ी हैं।
जब कालिंदी से इसका कारण पूछा गया तो उनकी आंखें डबडबा गईं। बोल पड़ीं- मुझे कहीं मत ले जाइए। मैं यहीं रहना चाहती हूं। उन्हें इस बात का डर है कि अस्पताल से छुट्टी कर दी गई तो जाएंगी कहां? खाएंगी क्या?
कालिंदी कहती हैं, तीन लड़के हैं। दो की शादी हो चुकी है। आठ माह पहले बुखार होने पर बेटों ने अस्पताल में भर्ती करा दिया। अब अच्छी हो गई हूं। घर जाना चाहती हूं, पर कोई लेने नहीं आता।
खुद डॉक्टर भी कहते हैं- अम्मा जी घर चले जाइए? पर कालिंदी कहती हैं, अस्पताल से इसलिए भी नहीं जाना चाहती क्योंकि रहने के लिए एक बेड और चार समय भोजन आसानी से मिल जाता है। बाहर में ऐसी सुविधा कहां मिलेगी?
खैर, कालिंदी महज एक बानगी हैं। यहां अस्पताल में 18 ऐसे लोग भर्ती हैं। सबकी कहानी एक जैसी है। चाहे सीतारामडेरा की श्यामा देवी हों या मानगो उलीडीह निवासी सहारा ठाकुर, या फिर हरहरगुट्टू की उर्मिला देवी।
भरपेट भोजन के चक्कर में ही यहां से कोई जाना नहीं चाहता। इनमें कई ऐसे भी हैं जिनके परिवार ने भर्ती करा कर छोड़ दिया है।