अर्पित गुप्ता
वर्षों से राम मंदिर के निर्माण की राह में अनेकों बाधाएं डाली गयीं हैं इसलिए अब मंदिर निर्माण ट्रस्ट पर जो
अनियमितता के आरोप लगाये गये हैं उसे भी श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की राह में बाधा डालने के ही एक
सुनियोजित प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जब राममंदिर निर्माण का
मार्ग प्रशस्त हुआ था और सभी वर्गों के लोगों ने इसे शांतिपूर्वक स्वीकार किया था तो लगा था कि अब कोई
अड़चन सामने नहीं आयेगी और इस विषय को लेकर कोई राजनीति नहीं होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा को
घेरने का अवसर मिला तो जो लोग कल तक श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे आज उनके श्रीमुख से मर्यादा
पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम शब्द निकलने लगा। जो लोग कल तक अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि विवाद पर न्यायालय
से फैसला टालते रहने की अपील करते थे और धर्म शब्द से परहेज करते हुए खुद को सेकुलर बताते नहीं थकते थे
वह आज धर्म के मामले में कूदते हुए कह रहे हैं कि बड़ा अधर्म हो गया है।
आरोप के पीछे की राजनीति क्या है?
दरअसल भाजपा ने राम मंदिर निर्माण का अपना बड़ा वादा पूरा किया है और योजना के अनुसार 2024 से पहले
अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर बन भी जायेगा। जाहिर-सी बात है कि इसका राजनीतिक लाभ
भाजपा को मिलेगा ही। इसके साथ ही छह-सात महीने बाद जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होंगे तब भी भाजपा
राम मंदिर बनाने का अपना वादा पूरा करने की बात मतदाताओं को याद दिलायेगी, ऐसे में इस मुद्दे का भाजपा
को जरा-सा भी राजनीतिक लाभ नहीं हो इसलिए इस तरह के आरोप गढ़ दिये गये हैं। इसके साथ ही देश में कुछ
ऐसी ताकतें भी सक्रिय हैं जोकि नहीं चाहतीं कि देश में चल रही बड़ी योजनाएं साकार हों। यह ताकतें नहीं चाहतीं
कि देश में सैंकड़ों वर्षों तक अनसुलझे रहे मुद्दे कभी सुलझें। इसलिए कभी सेंट्रल विस्टा के निर्माण की राह में
बाधाएं खड़ी करने के प्रयास किये जाते हैं तो कभी श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े ट्रस्ट को संदेह के घेरे में लाकर
मंदिर निर्माण की राह में बाधा खड़ी करने का प्रयास किया जाता है। आरोप लगाने वालों की माँग है कि इस मामले
की सीबीआई और ईडी से जाँच हो और एजेंसियां भूमि खरीद के सभी मामलों के साथ ही जनता से मिले चंदे की
राशि का भी ऑडिट करें। यानि आरोप लगाने वालों की चाहत है कि मंदिर निर्माण पर स्थगन लग जाये और
चुनावों तक जाँच ही चलती रहे और जिससे कि भाजपा को नहीं उन्हें इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ मिल जाये।
ट्रस्ट से जुड़े लोगों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना गलत
आरोप लगाने वाले चाहे जितने भी आरोप लगायें लेकिन यहां हमें यह याद रखना चाहिए कि श्री राम जन्मभूमि
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष कौन हैं। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं जोकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान
सचिव रह चुके हैं और उनके सबसे विश्वासपात्र अधिकारियों में से एक हैं। नृपेंद्र मिश्रा अपनी ईमानदारी के लिए
विख्यात हैं और ऐसे में उनके नेतृत्व वाले ट्रस्ट में कोई वित्तीय गड़बड़ी हो जाये इसकी रत्ती भर भी संभावना नहीं
दिखती है। इसके साथ ही ट्रस्ट के अन्य सभी सदस्यों की छवि भी एकदम बेदाग रही है।
आरोप लगाने वालों का इतिहास भी देखिये
देश में एक नयी तरह की राजनीति शुरू करने के मकसद से गठित हुई आम आदमी पार्टी ने वाकई भारत को एक
अलग तरह की राजनीति के दर्शन कराये हैं। यह है- 'आरोप लगाओ और भाग जाओ' की राजनीति। जब भी कोई
चुनाव आता है आम आदमी पार्टी के छोटे से लेकर बड़े नेता एक ही रणनीति पर काम करते हैं कि सत्ताधारी दल
से जुड़े बड़े से बड़े व्यक्ति पर घोटाले या भ्रष्टाचार के आरोप लगा दो, कुछ ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत कर दो जिससे
मामला दूर से संदिग्ध नजर आये। कुछ बुद्धिजीवियों से अपने आरोपों के पक्ष में बयान जारी करवा दो या ट्वीट
करवा दो। सोशल मीडिया पर उस आरोप के पक्ष में अभियान चलवा दो और जैसे ही अपने राजनीतिक हित सध
जायें आरोप लगाने के लिए माफी माँग लो। आम आदमी पार्टी को आरोप लगाने और फिर माफी मांग लेने के खेल
में हमेशा सफलता मिली है इसीलिए इस बार राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने का प्रयास किया
गया है। यहाँ ट्रस्ट को चाहिए कि वह आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा तो दायर करे
ही साथ ही सिर्फ माफी माँगने पर ही उन्हें नहीं बख्शे। आरोप भले राजनीतिक हों लेकिन इससे आम श्रद्धालुओं की
आस्था को ठेस पहुँची है क्योंकि अब वह किसी भी सूरत में श्रीराम मंदिर निर्माण की राह में कोई बाधा नहीं चाहता
और जल्द से जल्द श्रीअयोध्या जी में बनाये जा रहे भव्य राम मंदिर में प्रभु के अलौकिक दर्शन करना चाहता है।