सुबोध कुमार
लखनऊ। कोरोनावायरस महामारी के चलते अपने माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों के प्रति एक
और कदम आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें दी जाने वाली सहायता में संशोधन
किया है। जिन बच्चों के अभिभावक की आय सालाना दो लाख रुपए से कम है, उन्हें मदद की श्रेणी में रखा गया
है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कानूनी या नैसर्गिक रूप से रहे अभिभावकों की वार्षिक आय दो
लाख रुपये की सीमा बहुत कम है, इसलिए इसे बढ़ाया जाना चाहिए। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, एक बच्चे के
अभिभावक या देखभाल करने वाले को तब तक 4,000 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी, जब तक कि
वह वयस्क नहीं हो जाता है। जबकि जिन बच्चों के पास देखभाल के लिए कोई नहीं है, उन्हें बाल संरक्षण गृह भेजा
जाएगा। मुख्यमंत्री ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग को ऐसे बच्चों की जल्द से जल्द पहचान करने और यह
सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इस श्रेणी में आने वाला कोई भी बच्चा इस कल्याण योजना से वंचित न रहे।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में बात करते हुए महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक मनोज राय ने
कहा, ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण
अपने माता-पिता को खोया है। अब तक, 300 बच्चों की पहचान की गई है और काम अभी भी जारी है। जिन
अनाथ बच्चों की उम्र दस साल तक है और परिवार में देखभाल करने के लिए कोई नहीं है, ऐसे बच्चों को उत्तर
प्रदेश के पांच राजकीय बाल गृह (बाल आश्रय गृह) में पुनर्वासित किया जाएगा। ये शेल्टर होम मथुरा, लखनऊ,
प्रयागराज, आगरा और रामपुर में हैं। कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों के पालन-पोषण और शिक्षा के लिए
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरूआत की है। इन बच्चों को कस्तूरबा गांधी बालिका
विद्यालय और अटल आवासीय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा की सुविधा प्रदान की जाएगी। योगी आदित्यनाथ ने
अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के अनाथ बच्चों की शिक्षा
वित्तीय कारणों से बाधित न हो। राज्य सरकार की अभ्युदय योजना के तहत ऐसे बच्चों की उच्च शिक्षा की सुविधा
के लिए लैपटॉप और टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के तहत लड़कियों की शादी के लिए योगी सरकार
1,01,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी देगी।