लंदन। कोरोना वायरस टीकों के निष्पक्ष वितरण के लिए शुरू किए गए संयुक्त राष्ट्र समर्थित
कार्यक्रम ‘कोवैक्स’ को मिलने वाले टीकों की आपूर्ति बाधित होने से दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों समेत कम से
कम 60 देशों में टीकाकरण प्रभावित हो सकता है। दैनिक आधार पर संकलित यूनिसेफ आंकड़ों के अनुसार, पिछले
दो सप्ताह में 92 विकासशील देशों में आपूर्ति करने के लिए 20 लाख से कम कोवैक्स खुराकों को मंजूरी दी गई,
जबकि केवल ब्रिटेन में इतनी ही खुराक की आपूर्ति की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक
टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने ‘‘टीकों के वैश्विक वितरण में स्तब्ध करने वाले असंतुलन’’ की आलोचना करते हुए
शुक्रवार को कहा था कि अमीर देशों में औसतन चार में से एक व्यक्ति को कोविड-19 टीका लगाया जा चुका है,
जबकि कम आय वाले देशों में 500 लोगों में से औसतन केवल एक व्यक्ति को टीका लगाया गया है। भारत ने
बड़ी मात्रा में ‘एस्ट्राजेनेका’ टीकों का उत्पादन करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट में बने टीकों के निर्यात को फिलहाल
रोकने का फैसला किया है, जो वैश्विक स्तर पर टीकों की कमी का मुख्य कारण है। जिन देशों को कोवैक्स ने
सबसे पहले टीकों की आपूर्ति की थी, उन्हें 12 सप्ताह के भीतर टीके की दूसरी खुराक पहुंचाई जानी है, लेकिन ऐसा
संभव हो पाएगा या नहीं, इस पर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं। टीकों की आपूर्ति करने वाले संगठन ‘गावी’ ने
‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि टीकों की आपूर्ति में देरी से 60 देश प्रभावित हुए हैं। ‘एपी’ को मिले डब्ल्यूएचओ
के दस्तावेज दर्शाते हैं कि आपूर्ति में अनिश्चितता के कारण ‘‘कुछ देशों का कोवैक्स से विश्वास उठने’’ लगा है।
इसके कारण डब्ल्यूएचओ पर चीन और रूस के टीकों का अनुमोदन करने का दबाव बढ़ रहा है। उत्तर अमेरिका या
यूरोप में किसी भी नियामक ने चीन और रूस के टीकों को मान्यता नहीं दी है।