उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को यूपी में लाने के लिए राज्य सरकार ने इसे अपनी नाक की
लड़ाई बना लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये साफ हो गया है कि मुख्तार को दो हफ्ते के भीतर उत्तर
प्रदेश की इलाहाबाद और बांदा की जेल में शिफ्ट किया जाएगा। पूर्वांचल की राजनीति में भाजपा, कांग्रेस, सपा और
बसपा की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि मुख्तार को उत्तर प्रदेश की जेल में लाना कानूनी कार्रवाई
के साथ-साथ राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा मामला है। वह भाजपा की हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए
फिट बैठ रहे हैं। मुख्तार विधायक हैं और उनपर तमाम संगीन मामले चल रहे हैं। उन्हें कानून को सजा देनी
चाहिए, लेकिन मुख्तार की तरह ही कई और भी बड़े वांछित अपराधी हैं। उनके ऊपर भी कानून को उसी तरह की
सख्ती दिखानी चाहिए। राज्य सरकार को चाहिए कि सेलेक्टिव न होकर वह प्रदेश के सभी अपराधियों में कानून का
डर पैदा करें। हालांकि विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार सभी एजेंडे पर फेल हंै।
उसके पास सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कुछ खास बताने के लिए नहीं है। इसलिए वह जनता का ध्यान बंटाने
के लिए समय-समय पर मुख्तार अंसारी को पंजाब से लाने से लेकर कुछ न कुछ करती रहती है। किसान आंदोलन
कर रहे हैं, प्रदेश में बेरोजगारी चरमपर है और कानून-व्यवस्था के बारे में कहने के लिए कुछ नहीं बचा है। ऐसे में
कमियों को छिपाने के लिए योगी सरकार नई कहानी लेकर आ जाती है। जब तक लोग इस कहानी से ऊबते हैं,
दूसरी कहानी पेश कर दी जाती है। मुख्तार अंसारी राजनीतिक रसूख वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके दादा
मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। मऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्तार अंसारी खुद पांच बार विधायक
चुने गए हैं। उनके भाई अफजाल अंसारी सांसद हैं। लेकिन इसके साथ-साथ मुख्तार अंसारी 1990 के दशक से पूर्वी
उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय भी हैं। भाजपा नेता कृष्णा नंद राय की हत्या ने उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया
था। इसमें भी मुख्तार अंसारी का नाम आया था। हालांकि उन्हें 2019 में इस ममाले में क्लीनचिट मिल गई।
पूर्वांचल में बृजेश सिंह के साथ मुख्तार अंसारी के गिरोह की गैंगवार ने सूबे में कई बार दहशत का माहौल खड़ा
किया था। इसको लेकर बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं। अब बृजेश सिंह बनारस से एमएलसी हैं। मुख्तार और
बृजेश के नाम से अभी भी पूर्वांचल में लोग सहम जाते हैं। ऐसी एक धारणा भी है कि जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा
की सरकार बनी है मुख्तार गैंग पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। मुख्तार पर कोई 30 एफआईआर दर्ज हैं।
14 मामलों में ट्रायल चल रहा है। मुख्तार अंसारी एमपी/एमएलए कोर्ट की हिरासत में बांदा में जेल में बंद थे।
2019 में दर्ज एफआईआर के आधार पर पंजाब पुलिस को मुख्तार अंसारी की तलाश थी। लिहाजा वह बांदा जेल
पहुंच गई और जेल अधिकारियों ने मुख्तार को पंजाब पुलिस को सौंप दिया। तब से मुख्तार पंजाब की जेल में बंद
हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया। बांदा जेल अफसर को निलंबित कर दिया गया। यूपी
सरकार की याचिका पर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अंसारी को यूपी सरकार की हिरासत
में देने से इनकार किया था। पंजाब सरकार ने इसका कारण अंसारी के स्वास्थ्य को बताया था। जेल अधीक्षक के
माध्यम से दायर हल्फमामे में कहा गया था कि अंसारी कथित तौर पर उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, पीठ दर्द
और त्वचा की एलर्जी से पीडि़त है। अब सारे दावपेंच खत्म हो गए हैं। मुख्तार को यूपी आना ही होगा।