हिमाचल के स्प्रिंटर राष्ट्रीय खेल पटल पर

asiakhabar.com | March 26, 2021 | 4:12 pm IST

सुरेंदर कुमार चोपड़ा

ओलंपिक खेलों में विभिन्न खेलों की कई स्पर्धाएं आयोजित होती हैं, मगर एथलेटिक्स का आकर्षण सबसे अधिक
होता है। ओलंपिक में जो धावक सौ मीटर की दौड़ में विजेता बनता है, वह पृथ्वी का तीव्रतम इनसान बनता है। हां
यह सच भी है कि सौ मीटर की दौड़ का अपना ही रोमांच होता है। हिमाचल प्रदेश में तेज गति के बहुत कम
धावक व धाविकाएं आज तक सामने आए हैं। सौ मीटर से लेकर चार सौ मीटर की स्पर्धाओं को स्परिंट यानी तेज
गति की दौड़ों में रखा है, मगर आजकल आठ सौ मीटर की दौड़ भी बहुत तेज दौड़ी जा रही है। इन स्पर्धाओं में
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए जहां जन्मजात स्पीड चाहिए होती है, वहीं पर बहुत अधिक स्पीड इंडोरैंस व स्ट्रैंथ
ट्रेनिंग की भी जरूरत होती है। जहां उच्च कोटि का प्रोटीन आम आदमी को आसानी से उपलब्ध होता है, वहीं के
लोगों में अच्छी स्पीड जन्म से ही होती है। स्पीड को बहुत छोटी उम्र से ही विकसित करना पड़ता है। इसलिए
स्पीड पर प्रशिक्षण दस वर्ष से भी कम आयु में शुरू करना पड़ता है। अगले पांच सालों में स्पीड अपने उच्च स्तर
तक विकसित हो जाती है। यह भी कहा जाता है कि स्परिंटर पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते।
भारत के अधिकतर स्परिंटर समुद्र तट से संबंध रखते हैं। मछली इन लोगों का मुख्य आहार है। मछली में अच्छी
गुणवत्ता का प्रोटीन मिलता है। उत्तर भारत में शाकाहारी अधिक हैं, मगर गेहूं, दूध व उससे बने पदार्थों में भी अच्छी
क्वालिटी का प्रोटीन मिलता है। यह भी कारण है कि पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी समय-समय पर
अच्छे स्परिंटर मिलते रहते हैं। हिमाचल प्रदेश से वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पुष्पा ठाकुर ही एक मात्र
उदाहरण है जो हिमाचल प्रदेश के लिए 400 मीटर में पदक विजेता है। एशिया व ओलंपिक खेलों के राष्ट्रीय
प्रशिक्षण शिविरों तक पहुंचने वाली इस धाविका के बाद अभी तक कोई भी पुरुष या महिला हिमाचल प्रदेश के लिए
वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर पदक जीतना तो दूर, फाइनल तक पहुंचता सामने नजर नहीं आया था। पिछले सप्ताह हुए
वरिष्ठ राष्ट्रीय फेडरेशन कप में हिमाचल प्रदेश के अंकेश चौधरी ने आठ सौ मीटर की दौड़ में हरियाणा के एथलीट
से कड़ी प्रतिस्पर्धा करते हुए बहुत ही सम्मानजनक समय 1.48.64 मिनट में रजत पदक जीत कर राष्ट्रीय
प्रशिक्षण शिविर के लिए पात्रता पा ली है।
बहुत देर के बाद अमन सैनी के बाद किसी हिमाचली पुरुष एथलीट ने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता है। सेना में
कार्यरत अंकेश से भविष्य में जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक की उम्मीद है। इसी प्रतियोगिता में हिमाचल
प्रदेश के पारस ने सौ व दो सौ मीटर की दौड़ों को बहुत ही अच्छे समय में दौड़ कर भविष्य के लिए पदक की
उम्मीद जगा दी है। पारस दौ सौ मीटर को 22 सेकंड से नीचे 21.56 सेकंड में दौड़ने वाला पहला हिमाचली हो गया
है। इस उभरते एथलीट को नौकरी की बहुत जरूरत है। सरकार को इस समय सहायता करनी चाहिए। हिमाचल
प्रदेश में पहली बार राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर के धावक अशोक ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अंतर
महाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 1994 सुंदरनगर में पहली बार हिमाचल प्रदेश की धरती पर सौ मीटर की
दौड़ को 11 सेकंड से नीचे 10.9 सेकंड में दौड़ कर तीव्रतम धावक बना था। उसके साथ हमीरपुर के राजेश ठाकुर
ने भी 11 सेकंड से नीचे दौड़ कर रजत पदक जीता था। 2012-13 में राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर के विद्यार्थी
धावक रोहित चौहान ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अंतर महाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अशोक ठाकुर
के रिकॉर्ड को तोड़कर 10.83 सेकंड का नया कीर्तिमान बनाया था। वर्ष 2019 में राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला
के धावक पारस ने रोहित के रिकॉर्ड को तोडा है। हिमाचल प्रदेश पुरुष वर्ग का रिकॉर्ड 10.40 सेकंड में हमीरपुर के

धावक संदीप ने हिमाचल प्रदेश मिनी ओलंपिक 2017 में बनाया है। हिमाचल प्रदेश महिला वर्ग में हमीरपुर की
पुष्पा ठाकुर ने पहली बार सौ मीटर दौड़ को 12 सेकंड से नीचे हिमाचल प्रदेश मिनी ओलंपिक 2004 मंडी में
11.96 सेकंड में दौड़ कर नया राज्य रिकॉर्ड बनाया था। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का रिकॉर्ड हमीरपुर की
सोनिका शर्मा के नाम 12.23 सेकंड अंकित है। हमीरपुर की ही रिशु ठाकुर ने राष्ट्रीय महिला खेलों की 100 मीटर
दौड़ के फाइनल में पहुंच कर चौथा स्थान प्राप्त किया है।
200 मीटर की दौड़ में राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर की धाविका प्रोमिला ने राष्ट्रीय महिला खेल रायपुर 2006
में 100 मीटर में रजत व 200 मीटर की दौड़ में हिमाचल के लिए कांस्य पदक जीता था। अंतर विश्वविद्यालय
एथलेटिक्स बंगलूरु 2006 में 100 मीटर में चौथा तथा 200 मीटर की दौड़ को 24.93 सेकंड में दौड़ कर रजत
पदक जीता था। प्रोमिला 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए लगे प्रशिक्षण शिविर में रही है। राजकीय महाविद्यालय
हमीरपुर की ज्योति ने अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2013 पटियाला में 400 मीटर की दौड़ में
कांस्य पदक जीता था। 2012 की राष्ट्रीय महिला खेलों में ज्योति ने 400 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता था।
धर्मशाला साई खेल छात्रावास की धाविका रिचा शर्मा ने 2015 राष्ट्रीय महिला खेलों की 200 मीटर दौड़ में रजत
पदक जीता है। बालक 20 वर्ष आयु वर्ग में हमीरपुर के विजय कुमार शर्मा ने पहली बार 1981 में राष्ट्रीय स्तर पर
हिमाचल प्रदेश के लिए कांस्य पदक 400 मीटर में जीता था। 1985 सोलन महाविद्यालय के अमरीश जौली ने
400 मीटर दौड़ में अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता के फाइनल तक पहुंच बनाई थी। 2005 हमीरपुर
महाविद्यालय का अनिल शर्मा भी अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 200 मीटर दौड़ के फाइनल में
पहुंच गया था। 2019 की राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक्स में रोहित ने 400 मीटर के फाइनल में पहुंच कर भविष्य के
पदक विजेता होने का परिचय दे दिया है। पिछले दिनों मेरठ में आयोजित नार्थ जोन एथलेटिक्स प्रतियोगिता में
अंबिका राणा ने साठ मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीता है। यही गिनती के हिमाचली हैं जो तेज गति की दौड़ों में
हिमाचल प्रदेश को थोड़ी बहुत पहचान दिला पाए हैं। भविष्य में अंकेश चौधरी, पारस, रोहित, अंबिका राणा व दिव्या
सहित कई उभरती प्रतिभाओं से अपेक्षा है कि वे अपने-अपने प्रशिक्षकों के साथ बढि़या प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाकर
हिमाचल व देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिलाएंगे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *