नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष ने सरकार की आर्थिक नीतियों की तीखी आलोचना
करते हुए कहा कि कोविड महामारी आने के पहले ही अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी थी और केंद्र अपनी
विफलताओं को छिपाने के लिए कोरोना की आड़ ले रही है। हालांकि सत्तापक्ष ने सरकार के विभिन्न कदमों की
सराहना करते हुए दावा किया कि पिछले एक साल का समय सिहरन पैदा करने वाला और एक दु:स्वप्न जैसा था
तथा राजस्व में भारी कमी आने के बाद भी सरकार ने जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया।
कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए आरोप लगाया
कि सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था महामारी के पहले ही खराब दौर से गुजर रही थी लेकिन
स्थिति में सुधार के लिए बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया। हुड्डा ने कहा कि कोविड आने के पहले की
आठ तिमाहियों में वृद्धि दर आठ प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत पर आ गयी थी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग
सरकार के 10 साल के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी। उन्होंने
कहा कि अगर गणना की पुरानी पद्धति से उसका आकलन किया जाए तो वह दर 11-12 प्रतिशत होगी।
हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में जीडीपी की औसत दर 6.8 प्रतिशत रही। उन्होंने दावा किया कि
निवेश की दर जो पिछली सरकार के समय 14 प्रतिशत थी वह घटकर दो प्रतिशत रह गयी वहीं बैंकों से ऋण की
दर 13 प्रतिशत से घटकर नौ प्रतिशत रह गयी। उन्होंने कहा कि निर्यात के लिहाज से इस सरकार का प्रदर्शन
काफी खराब रहा और यह दर 21 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत हो गयी। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी ने
भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला दिया वहीं जल्दबाजी में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने इसकी कमर ही तोड़
दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना के दौरान सरकार के कुप्रबंधन ने अर्थव्यवस्था को आईसीयू में पहुंचा दिया।
उन्होंने कहा कि हालांकि कई विशेषज्ञों ने कोरोना के पहले ही दावा किया था कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में पहुंच
गयी है।
हुड्डा ने कहा कि कोरोना के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में करीब 23 प्रतिशत की गिरावट आयी जो पूरी दुनिया
में सर्वाधिक रही। उन्होंने कहा कि इस दौरान अमीर और गरीब के बीच के अंतर में भारी वृद्धि हुयी वहीं देश के
100 सबसे धनी लोगों की आय में 35 प्रतिशत की इजाफा हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए
के कोरोना राहत पैकेज की घोषणा की जो जीडीपी का सिर्फ 3.2 प्रतिशत है। उन्होंने दावा किया कि कई प्रमुख देशों
ने अपनी जीडीपी के 20 प्रतिशत के बराबर का पैकेज दिया। हुड्डा ने आरोप लगाया कि सरकार पेट्रोल, डीजल,
रसोई गैस पर सबसे ज्यादा कर ले रही है जिससे आम लोगों पर भारी बोझ पड़ा है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग
सिलेंडर रिफिल नहीं करा रहे हैं और जलावन की ओर लौट रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि पेट्रोल की कीमत अगर 100
रुपए है तो 63 रुपए सरकार की जेब में जाता है।