सुरेंदर कुमार चोपड़ा
स्कूल के दिनों में जब पहली बार साइकिल मिलती थी तो हर किसी का बचपन खुशियों से भर जाता
था। नई साइकिल पाकर बच्चे फूले नहीं समाते थे। बस फिर क्या था, साइकिल ली और निकल पड़े
मौज-मस्ती करने। इस मौज-मस्ती में बच्चों को यह पता नहीं था कि उनके स्वास्थ्य के लिए यह
साइकिलिंग कितनी जरूरी है। इसी बहाने उनके पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता था। गिरते-गिरते टक्कर
मारते बच्चे साइकिल चलाना सीख जाते थे। अब वही साइकिल बड़ों की सेहत बनाने का जरिया बनती
जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब यह साइकिल सड़क की बजाय जिम का हिस्सा बन गई हैं।
फिटनेस सेंटर में सेहत बनाने के हिसाब से रखी गई इन साइकिलों पर वर्क आउट करना ‘स्पीनिंग‘
कहलाती है।
इन साइकिलों के सहारे कई लोग देश का भ्रमण करते हैं तो कई लोग साइकिल रेस में हिस्सा लेते हैं।
जिससे समतल सड़कों से होते हुए पहाड़, कीचड़ और ढलान हर जगह जाना पड़ता है। पर अब इस
साइकिल का मजा लोग अपने आप को फिट रखने के लिए ले रहे हैं।
स्पीनिंग साइकिल आम साइकिलों से अलग होती हैं। इसमें आप टाइम फिक्स कर सकते हैं बिल्कुल एक
ट्रेडमील की तरह। इसमें आप स्पीड कंट्रोल कर सकते हैं और ब्रेक भी लगा सकते हैं।
कई फिटनेस ट्रेनर्स का मानना है कि यह स्पीनिंग भी आम साइकिल चलाने जैसा ही हैं। यह आपके पूरे
शरीर के वर्क-आउट का अच्छा विकल्प हैं। स्पीनिंग खासकर उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित
होती है जो लोग अपनी कमर और जांघों की जमी चर्बी कम करना चाहते हैं। ‘स्पीनिंग‘ की शुरुआत दस
मिनट के वार्मअप से की जाती है जो आपके शरीर के मेटाबोल्जिम, मांसपेशियां और खून के तापमान को
सही करने में मदद करती हैं। उसके बाद शुरू होता है व्यायाम जो लगभग 20-25 मिनट का होता हैं।
इससे शरीर में जमी हुई लैक्टिक एसिड घुलने लगती है। स्पीनिंग ऐसी एक्सरसाइज है जिसमें आप
अपनी मांसपेशियों में कड़ापन महसूस नहीं करेंगे।
25-30 मिनट की स्पीनिंग के बाद अपने आप को रिलैक्स करना बहुत जरूरी होता हैं। यह स्पीनिंग
एक्सरसाइज सबसे पहले न्यूजीलैंड में शुरू हुई थी। स्पीनिंग का बेहतर रूप हैं- ‘आरपीएम‘। यह स्पीनिंग
से थोड़ा मुश्किल होता है, इसमें आपको कठिन मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन 20 से 50 साल का कोई
भी व्यक्ति या महिला इसे आसानी से कर सकती है।
आरपीएम हाई-एनर्जी वर्कआउट है और यह एक बार में शरीर की 500 से 800 कैलोरी कम करने में
सहायता करता है। यह आपके दिल को मजबूत रखने में भी मदद करता है और आपके पैर और कमर
को सही शेप में रखने में भी सहायता करता है। गर्भवती महिलाओं, ज्यादा चोट खाए व्यक्ति या गंभीर
सर्जरी वाले लोगों को यह नहीं करना चाहिए। दूसरे व्यायाम की तरह इस व्यायाम को शुरू करने से पहले
भी डाॅक्टर की सलाह जरूर लें।