शिशिर गुप्ता
सरकार को चुनाव प्रचार की चिंता है व इलेक्शन में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा देंगे लेकिन महंगाई पर,
बढ़ते पेट्रोल के दामों पर ध्यान नहीं देते, क्या बात है? कोविड़-19 के कारण पहले से ही लोगों की दिनचर्या
प्रभावित हो चुकी है एंव उसके बाद अब महंगाई का झटका तो यकीनन ही लोगों की परेशानी और बढ़ा रहा है।
एलपीजी सिलेंडर की कीमत में बीते एक महीने के दौरान चौथी बार इजाफ़ा हुआ है, हाल ही में इसकी कीमत
25 रुपये बढ़ाई गई है। इसके साथ ही 4 फ़रवरी से 1 मार्च तक रसोई गैस सिलेंडर 125 रुपये महंगा हो
चुका है। वहीं कुल मिलाकर अकेले फ़रवरी के महीने में ही एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 100 रुपये का
इजाफ़ा देखा गया था। हालांकि इस वर्ष जनवरी के महीने में एलपीजी की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई
परन्तु दिसंबर के महीने में इसमें 50 रुपये की वृद्धि की गई थी। जिसके बाद से अब तक कुल मिलाकर दामों
में 175 रुपये का इजाफ़ा किया गया है। आलम तो यह है कि एलपीजी की कीमतों में ताज़ा हुई वृद्धि
सब्सिडी और गैर सब्सिडी, दोनों उपभोक्ताओं पर लागू होंगी।लिहाजा सभी ग्राहकों को एक एलपीजी सिलेंडर के
लिए बाज़ार मूल्य यानी ताज़ा कीमत के अनुसार 819 रुपये का ही भुगतान करना पड़ता है। चिंतापूर्ण विषय
यह है कि पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब सीएनजी और पीएनजी की कीमतें भी
आसमान छू रही हैं। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड यानी आईजीएल ने सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ाने की
घोषणा की है। 2 मार्च सुबह 6 बजे से दिल्ली में सीएनजी की नई कीमत बढ़कर 43.40 रुपये प्रति किलोग्राम
और पीएनजी की नई कीमत 28.41 रुपये प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर कर दी गई है। जिन कीमतों में वैल्यू
एडेड टैक्स शामिल है। वहीं दाम बढ़ाने के पीछे की वजह कोविड19 महामारी काल में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड
की फिक्स्ड कॉस्ट, मैनपावर कॉस्ट और परिचालन लागत में हुई बढ़ोतरी को बताया गया है। उल्लेखनीय है कि
पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों से लोग इतने परेशान हो चुके हैं कि हर जगह सरकार का विरोध किया जा रहा
है। जिसके बाद वित्त मंत्रालय अब विभिन्न राज्यों, तेल कंपनियों और तेल मंत्रालय के साथ मिलकर टैक्स कम
करने के रास्ते पर विचार कर रहा है। जिससे आम आदमी को आसमान छूती कीमतों से शायद फौरी राहत
मिल सकेगी। पिछले 10 महीनों के दौरान कच्चे तेल के भाव में दोगुनी बढ़त ने भारत में ईंधन के दाम में
इजाफा कर दिया है, जिसके तहत पेट्रोल-डीज़ल के खुदरा दाम पर आम जनता को करीब 60 फीसदी तक
टैक्स व ड्यूटीज़ चुकानी पड़ रही है। वहीं कोरोन वायरस महामारी ने तो पहलें ही आर्थिक गतिविधियों को बुरी
तरह प्रभावित किया ही है। वहीं ईंधन के बढ़ते दाम की वजह से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में
महंगाई भी बढ़ रही है। गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाना या कम करना सरकार की जरूरतों
और मार्केट की स्थिति जैसे कई पहलुओं पर निर्भर करता है लेकिन सरकार को बढ़ते दामों पर अवश्य ही जल्द
ध्यान देना चाहिए क्योंकि बढ़ते दामों का असर हर वर्ग के लोगों की आमदनी पर पड़ता है। जिसके कारण
उनके घर का बजट प्रभावित होता हैं।