नयी दिल्ली। देशवासियों को महंगी दवाओं से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से सस्ती जेनेरिक
दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत एक सप्ताह तक
चलने वाले तीसरे जनऔषधि दिवस, 2021 समारोहों की शुरुआत हो गयी है।
सात मार्च तक चलने वाले इस समारोह के दौरान पहले दिन देश भर में जन औषधि केन्द्रों पर स्वास्थ्य जांच
शिविर लगाये गये। विभिन्न जन औषधि केन्द्रों पर लगे स्वास्थ्य जांच शिविरों में ब्लड प्रेशर जांच, मधुमेह के
स्तर की जांच, मुफ्त डॉक्टर परामर्श, मुफ्त दवा वितरण आदि की व्यवस्था भी की गयी थी। देश भर में
विभिन्न स्थानों पर 1,000 से ज्यादा स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए गये थे। स्वास्थ्य शिविरों में आये आम
लोगों को जनऔषधि केन्द्रों पर बिक रही दवाओं पर कीमतों से जुड़े फायदों और गुणवत्ता के बारे में जानकारी
दी गयी और शिक्षित भी किया गया।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की कार्यान्वयन एजेंसी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ
इंडिया (बीपीपीआई) ‘सेवा भी- रोजगार भी’ की थीम के साथ सात मार्च, 2021 को तीसरा जनऔषधि दिवस
मना रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल सात मार्च को देश भर में ‘जनऔषधि दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान
किया था। बीते साल, दूसरे जनऔषधि दिवस पर 5695 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्रों पर हुए आयोजन
में भारत के 15 लाख से ज्यादा नागरिकों ने सक्रिय रूप से भागीदारी की थी। एक मार्च से सात मार्च तक देश
भर में हो रहे जन औषधि दिवस सप्ताह समारोह में स्वास्थ्य जांच शिविर, जन औषधि परिचर्चा, टीच देम
यंग, जन औषधि का साथ आदि विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना’ सरकार द्वारा की गई एक विशेष पहल है, जो किफायती कीमत पर
गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के प्रयास में जनता को व्यापक रूप से प्रभावित कर रही है। इसके स्टोर की
संख्या बढ़कर 7,400 से ज्यादा हो गई है और देश के सभी 734 जिले इसके दायरे में आ चुके हैं। इसके
अलावा, वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान पीएमबीजेपी के माध्यम से 433.61 करोड़ रुपये (एमआरपी) की बिक्री
हुई थी। इससे देश के सामान्य नागरिकों को लगभग 2,500 करोड़ रुपये की बचत हुई थी, क्योंकि ये दवाएं
औसत बाजार मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 में
फरवरी तक कुल 586.50 करोड़ रुपये की बिक्री हो चुकी है, जिससे ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में नागरिकों को
लगभग 3,500 करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह योजना स्थायी और नियमित आय के साथ स्व-रोजगार का
एक अच्छा स्रोत भी उपलब्ध करा रही है।