वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने सोमवार को संकेत दिया कि
उसने नए एच-1बी वीजा जारी करने को लेकर पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के लगाए गए प्रतिबंध को समाप्त करने पर
अभी कोई फैसला नहीं किया है।
अमेरिका के गृहसुरक्षा मंत्री एलेजांद्रो मायोरकास ने कहा कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता उत्पीड़न से बचकर भाग
रहे लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीजा जारी करने पर प्रतिबंध की अवधि जनवरी में 31
मार्च तक बढ़ा दी थी और तर्क दिया था कि देश में बेरोजगारी की दर अधिक है तथा अमेरिका और अधिक
विदेशी कर्मियों का भार नहीं उठा सकता।
मायोरकास से व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में प्रश्न किया गया, ‘‘राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्रंप के
दर्जनों शासकीय आदेश रद्द कर दिए, जिनमें ग्रीन कार्ड संबंधी आदेश और मुस्लिम वीजा प्रतिबंध को हटाने
जैसे आव्रजन संबंधी आदेश शामिल हैं। एच-1बी को जारी करने पर लागू प्रतिबंध को अभी तक हटाया नहीं
गया है। यदि बाइडन नई घोषणा नहीं करते हैं, तो इस आदेश की अवधि 31 मार्च को समाप्त हो जाएगी।
एच1बी वीजा पर ट्रंप प्रशासन के दौरान लगे प्रतिबंध की समीक्षा की स्थिति क्या है और क्या व्हाइट हाउस ने
महीने के अंत में इस आदेश की अवधि समाप्त होने से पहले इस प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया है?’’
इसके जवाब में मायोरकास ने कहा, ‘‘मुझे वास्तव में नहीं पता। मुझे प्रश्न के जवाब में प्रश्न करना अच्छा
नहीं लगता। इसका निश्चित जवाब मुझे नहीं पता है।’’
उन्होंने कहा कि उत्पीड़न से बचकर भाग रहे लोगों की आवश्यकता पूरा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
इस बीच, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने एक अक्टूबर, 2021 से शुरू हो रहे वित्त वर्ष के लिए
एच-1बी आवेदन आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने
कहा कि उसे कांग्रेस द्वारा तय एच-1बी वीजा की सामान्य सीमा 65,000 के लिए तथा अमेरिकी
विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा पूरी कर चुके 20,000 और लोगों के लिए आवेदन मिल चुके हैं। वर्ष 2021
के सफल आवेदकों का निर्णय कंप्यूटर द्वारा एक ड्रॉ के जरिए होगा।
भारत सहित विदेशी पेशेवरों के बीच एच-1बी वीजा की काफी मांग रहती है।
एच-1बी वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को उन व्यवसायों के लिए विदेशी श्रमिकों को
नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष दसियों हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के
लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।