नई दिल्ली। कर्नाटक के गोकर्णा में दलित परिवार से संबंध रखने वाले तीन भाइयों की भूख से मौत हो गई। उनकी स्थानीय पीडीएस की दुकान ने उन्हें अनाज देने से इंकार कर दिया क्योंकि उनके राशन कार्ड आधार से नहीं जुड़े थे। इस बारे में 16 जुलाई को स्थानीय मीडिया में खबर भी प्रकाशित हुई थी कि अनाज नहीं मिलने के कारण 15 दिनों के अंदर एक ही परिवार के तीन भाइयों की मौत हो गई थी।
सुब्बू (52), वेंकटरमन्ना (46) और नारायण (55) की दो जुलाई, 8 जुलाई और 13 जुलाई को भुखमरी से मौत हो गई थी। वे उत्तरा कन्नड़ जिले के कुमता तालुक के अधीन आने वाले गोकर्णा ग्राम पंचायत के सदस्य थे।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के एक सदस्य नरसिंहप्पा ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस घटना के बाद परिवार के घर जाकर वास्तविकता का पता करने की कोशिश की। यहां वे युवकों की 85 वर्षीय बीमार मां, राशन की दुकान के मालिक, स्थानीय एनजीओ के कार्यकर्ताओं और तहसीलदार सहित तालुका स्तर के अधिकारियों से मिले।
जांच के दौरान, नरसिंहप्पा ने पाया कि अप्रैल से इस परिवार को राशन प्राप्त नहीं हुआ था, जिसकी वजह से जुलाई में उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2017 में आखिरी बार परिवार को राशन मिला था। अप्रैल से जुलाई 2017 तक उन्हें कोई राशन नहीं मिला क्योंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं था। ऐसे में भुखमरी की वजह से जुलाई में 15 दिनों के बीच तीनों बेटों की मौत हो गई।
हालांकि, उनकी मौत का सही कारण पता नहीं चल सका क्योंकि पैसों की तंगी के कारण उनका पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। तीनों भाइयों की मौत को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं। एक महा गनपति सेवा संघ नाम के एनजीओ के सदस्य कुमार गौड़ा ने बताया कि युवकों की मौत के कारण शराब की लत और स्वास्थ्य समस्याओं दोनों की वजह से हुई थी।
हालांकि, रिपोर्ट में लड़कों की मां नागम्मा मुकरी के हवाले से यह भी लिखा गया है कि तीनों बेटों को शराब की लत थी, लेकिन उनकी मौत का कारण भुखमरी था। परिवार को बीपीएल राशन कार्ड मिला था, जिसके तहत उन्हें 35 किलो चावल मिलते थे। राशन की दुकान के मालिक राजन ने कहा कि इस घटना के बाद आए अधिकारियों ने जांच की और मुकरी के राशन कार्ड को आधार से जोड़ दिया है, जिसके बाद उसे अब राशन मिल रहा है।