श्रीनगर। खेल को इस्लाम विरोधी बताने वालों को कश्मीर की बेटियां करारा जवाब दे रही हैं। यहां की लड़कियां अब अबला नहीं रहीं। वह छेड़खानी करने वालों से लेकर आए दिन बेतुके फरमान जारी करने वाले कट्टरपंथियों से निपटना भी बखूबी जानती हैं। इन बेटियों में यह विश्वास जगा है मार्शल आर्ट से।
घाटी में इन दिनों केवल मार्शल आर्ट ही नहीं, कई जगह कराटे, कुंगफू, वुशु और थांग्टा के प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। इनमें काफी संख्या में लड़कियां आत्मरक्षा व आत्मविश्वास के गुर सीख रही हैं। खासतौर पर पिछले एक माह से जब से वादी में चोटी कटने की घटनाएं बढ़ी हैं, अभिभावक भी अपनी बेटियों को कराटे व मार्शल आर्ट सिखाने को तरजीह दे रहे हैं।
कश्मीर की सामाजिक परिस्थितियों, अलगाववादियों और आतंकियों के डर से कुछ समय पहले तक गिनी-चुनी लड़कियां ही इन खेलों में हिस्सा लेती थीं। मगर, अब ऐसा नहीं है। सिर्फ श्रीनगर ही नहीं, वादी के अन्य कस्बों में भी मार्शल आर्ट व कराटे जैसे खेल सिखाए जा रहे हैं।
राजबाग स्थित एक निजी स्कूल में बीते एक सप्ताह से छात्राओं के लिए कराटे का रोजाना सत्र आयोजित किया जा रहा है। इसमें पहली कक्षा से लेकर 10वीं तक की छात्राओं को क्रमानुसार आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं। स्कूल की प्रिंसिपल फहमीदा ने कहा कि यह व्यवस्था हमने अभिभावकों के आग्रह पर ही की है।
थांग्टा फेडरेशन ऑफ इंडिया के सह सचिव एयाज अहमद बट ने कहा कि बीते साल तजम्मुल ने जब इटली में मार्शल आर्ट में विश्व रिकॉर्ड कायम किया था, तो उसके बाद वादी में इसे सीखने वाली लड़कियों की संख्या मे कुछ बढ़ोतरी हुई थी। वहीं, बीते एक माह के दौरान जब से यहां चोटी कटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, थांग्टा व अन्य मार्शल आर्ट खेल सीखने वाली लड़कियों की तादाद उम्मीद से ज्यादा बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि हम इस समय दिल्ली पब्लिक स्कूल, ग्रीन वैली एजूकेशनल इंस्टीट्यूट, जेएंडके पब्लिक स्कूल, शाह मेमोरियल स्कूल, वेल्किन हायर सेकेंडरी स्कूल सोपोर में प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहे हैं। राजबाग स्थित गिंदन पार्क में चलने वाली कराटे क्लास में ट्रेनिंग ले रही नौवीं कक्षा की छात्रा आसरा ने कहा कि चोटी काटने वाले तत्व पर कैसे घूंसों की बरसात करनी है, यह मुझे अब अच्छी तरह आता है।
अब कहते हैं जूडो सिखाओ
अपनी बेटी माहरुख को वुशु सिखाने के लिए बख्शी स्टेडियम में लेकर आए मुहम्मद शफी डार ने कहा कि जिस तरह के हालात चल रहे हैं, लड़कियों को अपनी सुरक्षा में माहिर होना जरूरी हो गया है। डाउन-टाउन के खनयार में रहने वाले और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में राज्य के लिए पदक जीत चुके जूडो खिलाड़ी इरफान ने कहा कि मैं जब अपने पड़ोस में रहने वाली लड़कियों को जूडो सीखने के लिए कहता था, तो लोग मुझसे झगड़ा करते थे। वे कहते थे कि यह इस्लाम के खिलाफ है, लेकिन अब मुझे मुहल्ले वाले ही लड़कियों को सिखाने के लिए जोर दे रहे हैं।