राकेश
मुंबई। अनुपम खेर अपनी मां के बहुत करीब हैं। वह उनके वीडियोज 'दुलारीरॉक्स'
हैशटैग के साथ पोस्ट करते हैं और लोगों के या काफी मजेदार लगते हैं। अपने रीसेंट पोस्ट ने अनुपम खेर ने
जीवन के कठिन समय के बारे में बात की है। उन्होंने बताया कि उनको बनाने में मां दुलारी का कितना बड़ा
हाथ है। उन्होंने खुलासा किया कि वह मुंबई मात्र 37 रुपये लेकर आए थे और उनको पढ़ाने के लिए मां ने
अपने गहने बेचे थे।
अनुपम खेर ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के पेज से पोस्ट रीशेयर किया है। इसमें अनुपम की तरफ से लिखा है,
मुझे अच्छी तरह याद है जब मां मुझे स्कूल छोड़ने जाती थीं। जाने से पहले वह कहती थीं, तुम्हारा सबसे
अच्छा दिन आज है। एक बच्चे के तौर पर मुझे उनकी बात का भरोसा था। इससे मुझे यह भूलने में मदद
मिलती थी कि हम कितने गरीब हैं। पापा की महीने की पगार सिर्फ 90 रुपये थी। हमें अच्छे स्कूल में भेजने
के लिए मां को अपने गहने बेचने पड़े थे।
अनुपम खेर ने आगे लिखा, लेकिन मैं पढ़ाई में बहुत बुरा था तो मां को चिंता होती थी। अगर पापा थोड़ा नरम
पड़ते तो मां कहतीं, 'ज्यादा तारीफ मत करो'। वह हमें फोकस्ड रखना चाहती थीं। एक इंसान के रूप में मुझे
बनाने के लिए मां जिम्मेदार हैं। मैं 10 साल का था जब एक साधु स्कूल आया। मां ने मुझे 5 पैसे दिए।
लकिन मैंने 2 रुपये खर्च कर लिए और बाकी अपने बैग में रख लिए। मां ने पूछा तो मैंने झूठ बोल दिया।
बाद में जब उन्हें पैसे दिखे तो मुझे 3 घंटे तक बाहर रखा जब तक मैंने गलती कुबूल नहीं कर ली। मां ने
मुझसे वादा लेकर अंदर बुलाया कि मैं कभी झूठ नही बोलूंगा। मेरे पास उनके दिए संस्कार हैं। जब मैं मुंबई
आया तो मेरे पास 37 रुपये थे। कभी-कभी मुझे प्लैटफॉर्म पर सोना पड़ता था पर उनको ये बात नहीं बताता
था। जब मां बीमार होती तो मुझे नहीं बताती थी, हम दोनों एक-दूसरो को प्रोटेक्ट करने की कोशिश करते थे।
अनुपम ने अपने पिता के निधन का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया, पिता की मौत के बाद हम करीब हो गए,
उन्होंने अपना पार्टनर खो दिया था और मैंने बेस्ट फ्रेंड। चौथे पर मैंने कहा कि रोने से अच्छा है हम उनकी
जिंदगी को सेलिब्रेट करें। हमने रंगीन कपड़े पहने और एक रॉकबैंड बुलाया। हमने पापा के साथ अपनी अच्छी
यादों का जिक्र किया। मां बोलीं, मुझे पता नहीं था कि मैंने इतने बेहतरीन इंसान से शादी की थी। इसके बाद
वह मेरी बेस्ट फ्रेंड बन गईं।