अर्पित गुप्ता
केंद्र सरकार ने हाल ही में आईटी और बीपीओ कंपनियों के लिए कामकाज के नियमों को आसान बना दिया है।
इससे इन कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) की जगह वर्क फ्रॉम एनिवेयर (कहीं से भी काम) को बढ़ावा
मिलेगा। ये उद्योग लंबे समय से सरकार से नियमों में बदलाव की मांग कर रहे थे। केंद्र ने बिजनेस प्रोसेस
आउटसोर्सिंग और आईटी आधारित सेवाएं प्रदाता कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों को अब सरल कर दिया है।
इससे उद्योग का अनुपालन बोझ कम होगा। साथ ही वर्क फ्रॉम होम और वर्क फ्रॉम एनीवेयर को बढ़ावा
मिलेगा। नए नियमों से सेवा प्रदाताओं के लिए ‘घर से काम’ और ‘कहीं से भी काम’ के लिए अनुकूल माहौल
बनेगा। ऐसी कंपनियों के लिए समय-समय पर रिपोर्टिंग और अन्य सेवा शर्तों को भी समाप्त कर दिया गया
है। आईटी उद्योग ‘वर्क फ्रॉम होम’ को लेकर लंबे समय से राहत दिए जाने की मांग कर रहा था और इसे
स्थायी आधार पर जारी रखने की मांग कर रहा था। आज भी देश के अनेक संस्थानों ने अपने कर्मचारियों के
लिए वर्क फ्रॉम होम की सुविधा का ऐलान कर रखा है। कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने लोगों को घर से
काम करने का मौका दिया था। इस नए कल्चर को शुरुआत में सभी द्वारा स्वीकार कर पाना मुश्किल था।
संस्थानों और कर्मचारी वर्ग दोनों को वर्क फ्रॉम होम के लिए काफी परेशानियों से गुजरना पड़ा। लेकिन
लॉकडाउन की लंबी अवधि ने धीरे-धीरे उनको इसकी आदत डाल दी। दिलचस्प बात यह है कि अब लोग वर्क
फ्रॉम होम के कल्चर को इतना पसंद करने लगे हैं कि वापस ऑफिस जाकर काम नहीं करना चाहते। इसके
लिए वे अपनी सैलरी से भी समझौता करने को तैयार हैं।
वर्क फ्रॉम होम के इस कल्चर से फायदा भी और नुकसान भी हुआ। साल 2020 के जून और जुलाई के महीने
में करीब 1000 लोगों पर किए गए सर्वे के मुताबिक भारत में वर्क फ्रॉम होम के कल्चर से हर तीन में से
एक कर्मचारी ने हर महीने कम से कम तीन हजार से पांच हजार तक की बचत की है। साथ ही इससे ऑफिस
आने-जाने, बाहर खाने-पीने और कपड़ों वगैरह का खर्चा बचा है। यही कारण है कि करीब 74 फीसदी लोग अब
घर से ही काम करना पसंद कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भी अधिकतर निजी कंपनियों के कर्मचारियों ने वर्क
फ्रॉम होम को जारी रखा है। कुछ मैनेजमेंट गुरु कहते हैं कि घर से काम करने से सिर्फ कर्मचारियों को ही
फायदा नहीं हुआ, बल्कि इससे कंपनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने की संभावनाएं भी नजर आई हैं। दिल्ली और
मुंबई जैसे शहरों में घर से काम करने से कर्मचारियों के ट्रैवलिंग और मीटिंग के दौरान फिजूल में खर्च होने
वाले समय की बचत हुई है। अब इस समय का उपयोग वे कंपनी की किसी अन्य योजना को बेहतर बनाने के
लिए कर सकते हैं। इससे कंपनी की कार्यक्षमता बढ़ेगी, साथ ही कर्मचारियों की ग्रोथ भी होगी। वर्क फ्रॉम होम
की वजह से सुबह से सड़कों पर लगने वाले जाम में भी कमी आई है। अगर इसे आगे जारी रखा जाता है तो
सड़कों पर ट्रैफिक कम होने से प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट संभव हो सकती है। आम तौर पर वर्क फ्रॉम होम
के फायदे ही फायदे नजर आते हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। ऑफिस जाने वाले व्यक्तियों के आठ घंटे
ऑफिस के होते हैं, लेकिन जब वह घर वापस आते हैं तो अपना समय परिवार को देते हैं। वहीं जो लोग घर से
काम करते हैं, वे भले ही पूरा दिन परिवार के साथ हों, लेकिन फिर भी उनके साथ नहीं होते। सोते-जागते उन्हें
अपने कमिटमेंट पूरे करने की चिंता लगी रहती है। इसके कारण कभी-कभी उनके स्वास्थ्य और पारिवारिक
रिश्तों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
जो लोग घर से काम करते हैं, उनके काम का एक रेट तय होता है और चाहकर भी व्यक्ति उन्हें बहुत अधिक
नहीं बढ़ा सकता। दरअसल घर से काम करने पर आप ऑफिस में बॉस से लगातार संपर्क में नहीं रहते। केवल
फोन या ईमेल के जरिए ही काम होता है। कभी-कभी तो कम्युनिकेशन के अभाव में काम भी प्रभावित होता है।
साथ ही कम्युनिकेशन गैप के चलते लोग जल्द आपको नोटिस नहीं करते और न ही आप अपने भीतर के गुणों
को उनके समक्ष रख पाते हैं। ऐसे में प्रमोशन होना या काम के रेट में वृद्धि होना काफी मुश्किल होता है। वर्क
फ्रॉम होम के चलते डिजिटल चैनल्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के चलते साइबर क्रिमिनल्स भी काफी
सक्रिय हैं। ऐसे में साइबर क्राइम से बचने के लिए कुछ टिप्स हैं। उदाहरण के तौर पर डिवाइसेज और
ऑनलाइन अकाउंट्स के सभी डिफॉल्ट पासवर्ड बदल दें। इसके बाद मजबूत पासवर्ड रखें। मीटिंग लिंक्स को
सार्वजनिक तौर पर या सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर शेयर न करें। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑफिस के
कोलेबोरेटिव वर्क के लिए उन्हीं ऐप्स का इस्तेमाल करें जो भरोसेमंद हों या फिर आपके नियोक्ता मुहैया कराए
हों। सभी ऑपरेटिंग सिस्टम, एंटी वायरस और ऐप्लिकेशन्स के अपडेटेड वर्जन का इस्तेमाल करें। किसी ओपन
या फ्री वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करने से बचें। अपने घर के वाई-फाई और एडमिन के डिफॉल्ट पासवर्ड
बदल दें। आपकी ईमेल आईडी पर आने वाले किसी भी फिशिंग ईमेल से बचें। इन ईमेल में भेजे जाने वाले
लिंक मैलिशियस हो सकते हैं। इन पर क्लिक करने से पहले ध्यान से जांच लें। ऑफिस सिस्टम्स को एक्सेस
करने के लिए सिक्योर नेटवर्क का इस्तेमाल करें। जब तक बहुत ज्यादा जरूरत न हो, रिमोट एक्सेस को
डिसेबल रखें। अगर इसका इस्तेमाल करना हो तो प्रॉपर सिक्योरिटी के साथ करें। वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो
ऑफिस के काम और एंटरटेनमेंट के लिए एक ही डिवाइस का इस्तेमाल न करें।
जहां तक संभव हो, अपनी कंपनी से मिले कंप्यूटर तथा लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें और पर्सनल सिस्टम पर
ऑफिस का काम करने से बचें। वर्क फ्रॉम होम के दौरान स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा हो रही हैं। गलत
पोजीशन में घंटों लैपटॉप पर काम करने की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं। इस दौरान लोगों में
रीढ़ का दर्द, सर्वाइकल, पीठ दर्द, कंधे में दर्द जैसी परेशानियां सामने आई हैं। लगातार कंप्यूटर और मोबाइल
स्क्रीन पर काम करने के कारण आंखों में जलन और पानी आने तथा नींद न आने जैसी समस्याएं बढ़ी हैं।
इसके बावजूद कौन नहीं चाहता है कि वह अपनी मर्जी का मालिक बने। घर बैठे पैसे कमाए। कई करोड़ शहरी
भारतीय आज भी यही सपना देखते हैं। स्वरोजगार के लिए वर्क फ्रॉम होम एक अच्छा क्षेत्र है। फ्रीलांसर
इनकम्स अराउंड द वर्ल्ड रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में वर्क फ्रॉम होम के लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
यह वर्ष वर्क फ्रॉम होम की कल्चर में अधिकता के लिए भी याद रखा जाएगा। वर्क फ्रॉम होम से स्वरोजगार
प्राप्त करने वाले अपने देश में अनेक शख्स ऐसे भी हैं जिनके आर्थिक स्तर पर आत्मनिर्भर होने के निरंतर
प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्राणवायु मिल रही है।