वेतन की समस्या के समाधान के बजाय नूरा कुश्ती में उलझे आप-बीजेपीः मुकेश गोयल

asiakhabar.com | December 29, 2020 | 12:20 pm IST
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गौरव त्यागी

नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद
मुकेश गोयल ने आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पर सदन में संविधान की धज्जियां उड़ाने का
आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हम बीजेपी नेताओं के बयानों पर विश्वास नहीं करते। निगमों के बकाये पर

बीजेपी निगम आयुक्त से बयान जारी करवाए, तभी भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि
दिल्ली सरकार की ओर निगमों का कोई बकाया नहीं है तो सीएम केजरीवाल को अपने मुख्य सचिव से यह
आधिकारिक बयान दिलवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला
दीक्षित के समय में सरकार की ओर नगर निगमों को कोई बकाया नहीं था। उस समय तक निगम के
कर्मचारियों को समय से वेतन दिया जा रहा था। जबकि नगर निगम में तब भी बीजेपी का ही शासन था।
मुकेश गोयल ने आगे कहा कि सोमवार को सदन की बैठक में आप और बीजेपी के पार्षद पहले से ही हेंडबिल,
तख्तियां और बैनर लेकर आए थे। नियमानुसार बैठक में पहले श्रद्धांजलि और आयुक्त की रिपोर्ट पेश की
जानी थी। लेकिन दोनों दलों के पार्षदों ने सीधे तौर पर हंगामा करना शुरू कर दिया। एक दूसरे पर पर्चे फेंके
गये। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आप के पार्षद कर्मचारियों के सेलरी की समस्या को सुलझाने के बजाय
आपस में नूरा-कुश्ती खेल रहे हैं।
मुकेश गोयल ने कहा कि साल 2012-13 में नगर निगमों का दिल्ली सरकार की ओर केवल 25 करोड़ रूपये
बकाया था, तब साल पूरा होने से पहले दिसंबर में ही आम आदमी पार्टी की सरकार आ गई थी। दिल्ली में
आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से दिल्ली सरकार की ओर निगमों का बकाया लगातार बढ़ता जा
रहा है। आज की तारीख में तीसरे, चौथे और पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 573.93 करोड़
रूपये बकाया हैं। ज्यादातर कर्मचारियों को वेतन मिले चार से पांच महीने हो गए हैं।
मुकेश गोयल ने सवाल उठाया कि तीसरे वित्तर आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद सीधे पांचवें वित्त
आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया गया। लेकिन चौथे वित्त आयोग को ना तो दिल्ली सरकार ने लागू
किया और ना ही बीजेपी ने इसे लागू करवाने के लिए किसी तरह के प्रयास किये। उन्होंने सदन में मांग की
कि उपराज्यपाल को कर्मचारियों के वेतन और निगमों की धनराशि के मामले में सीधे हस्तक्षेप करने की मांग
की है।


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