तो इस तरह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्‍यों को ज्ञान का महत्‍व समझाया

asiakhabar.com | November 26, 2020 | 5:09 pm IST

सुरेंदर कुमार चोपड़ा

एक दिन गौतम बुद्ध ने भिक्षुओं को तंबाधातिका के बारे में बताया। तंबाधातिका 55 सालों तक एक
राज्य का जल्लाद रहा। सेवानिवृत्ति के बाद एक दिन तंबाधातिका ने खिचड़ी बनाई और नहा-धोकर
खिचड़ी थाली में डाली। वह खिचड़ी खाने ही वाला था कि दरवाजे पर भिक्षु सारिपुत्त पहुंचे। सारिपुत्त ध्यान
से उठे ही थे और उन्हें जोरों की भूख लगी थी। तंबाधातिका ने सोचा कि जीवन भर उसने हत्याएं की हैं,
आज पुण्य का मौका हाथ लगा है। उसने भिक्षु को अंदर बुलाया और उनके सामने खिचड़ी रख दी।
भोजन करने के बाद भिक्षु ने उसे धम्म का उपदेश दिया। लेकिन तंबाधातिका ने नहीं सुना, क्योंकि उस
दौरान वह अपना जल्लाद का जीवन याद कर रहा था। भिक्षु सारिपुत्त ने उससे पूछा कि क्या वह चोरों
को मारना चाहता था या इसलिए मारा क्योंकि राजा ने आदेश दिया था। तंबाधातिका ने कहा कि उसने
बस आज्ञा का पालन किया अन्यथा उसकी उन्हें मारने की कोई इच्छा नहीं थी। तब भिक्षु ने पूछा, ‘अगर
ऐसा है, तो आप दोषी होंगे या नहीं?’ तंबाधातिका ने सोचा कि चूंकि वह बुरे कामों के लिए जिम्मेदार
नहीं था, तो वह दोषी नहीं था। इसके बाद वह शांत हो गया और भिक्षु ने उपदेश पूरा किया। जब वह
भिक्षु को विदा करके लौटा तो उसकी मौत हो गई।
बुद्ध ने भिक्षुओं को बताया कि इस तरह से तंबाधातिका को मोक्ष प्राप्त हुआ। भिक्षु दुविधा में पड़ गए।
उन्होंने बुद्ध से पूछा कि जीवन भर हत्याएं करने वाले को भला मोक्ष कैसे मिल सकता है? बुद्ध
मुस्कुराए और बोले, ‘तंबाधातिका ने अंत समय में ज्ञान प्राप्त कर लिया था। भिक्षु सारिपुत्त ने उनके पूरे
जीवन में पहली बार ज्ञान के शब्द कहे, जिसे उन्होंने समझ लिया था कि ज्ञान ही तो मोक्ष है।’ बुद्ध
बोले, ‘बिना ज्ञान का हजार शब्दों का उपदेश बेकार है और जिस एक शब्द से मन शांत हो जाए, वह
सबसे बड़ा ज्ञान है।’


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *