राजीव गोयल
पूरे देश में कोरोना का संक्रमण भले ही काबू में हो और मरीजों की संख्या में कमी आ रही हो, मगर राजधानी
दिल्ली खतरे के संकेत दे रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता
जाहिर की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत पडऩे पर बाजारों में लॉकडाउन लगाया जा सकता है। इसके लिए
उन्होंने एक प्रस्ताव एलजी को भेजा है क्योंकि बिना केंद्र की अनुमति के कहीं भी लॉकडाउन नहीं लगाया जा
सकता। पिछले दिनों जब दिल्ली में कोरोना की स्थिति में सुधार हुआ था तो दिल्ली सरकार ने केंद्र की गाइडलाइन
के अनुसार शादी समारोह में मेहमानों की संख्या 50 से 200 कर दी थी। उस आदेश को वापस ले लिया गया है
और अब शादी में मेहमानों की संख्या वापस से 50 की जा रही है। इसका प्रस्ताव भी एलजी को भेजा गया है।
दिल्ली की यह हालत हमारी लापरवाही की देन है। कोरोना के प्रति बेफिक्री ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया है।
दूसरे राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति है। लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही दूरी बना रहे हंै। लिहाजा, संक्रमण
कब पलटी मार दे, कहा नहीं जा सकता।
दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों ने स्वाभाविक ही भय और चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने लोगों से अपील
की है कि वे तभी घरों से बाहर निकलें, जब बहुत जरूरी हो। घरों के खिड़की, दरवाजे बंद रखें। यह एक प्रकार से
अघोषित लॉकडाउन जैसी ही अपील है। दिल्ली में संक्रमण के तेजी से बढऩे की कुछ वजहें साफ हैं। एक तो यह कि
कारोबारी गतिविधियां खुलने से बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर भीड़भाड़ बढऩे लगी है। जो प्रवासी मजदूर अपने
गांव-घर चले गए थे, वे भी कारखाने वगैरह खुलने से वापस लौटने लगे हैं। लॉकडाउन खुलने के शुरुआती दिनों में
तो बाहर से आने वालों की जांच की जाती रही, ताकि उनकी वजह से दिल्ली में संक्रमण दोबारा न फैलने पाए।
मगर फिर शिथिलता बरती जाने लगी। फिर सर्दी शुरू होने के साथ मौसम में नमी लौटी और वायुमंडल पृथ्वी की
सतह के करीब सघन होने लगा, तभी पड़ोसी राज्यों में पराली जलाई जाने लगी, जिससे हवा में प्रदूषण बढ़ गया।
इस प्रदूषण में कोरोना के विषाणु भी पांव पसारने लगे।
मगर इसकी बड़ी वजह लापरवाही भी रही। जब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाया गया तो बार-बार लोगों से
अपील की गई कि उचित दूरी बनाए रखें, हाथ धोते रहें, मुंह ढंका रखें। जब तक इसका टीका नहीं आ जाता, तब
तक किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें। प्रधानमंत्री ने भी बार-बार लोगों से सावधानी बरतने की अपील की।
मगर हकीकत यह है कि लोगों ने लॉकडाउन खुलने का मतलब यह मान लिया कि कोरोना का खतरा टल गया है।
जगह-जगह भीड़भाड़ लगाना शुरू कर दिया, बिना मुंह ढंके घूमने-फिरने लगे।
दशहरे के साथ ही त्योहारों का मौसम शुरू हो जाता है और दिवाली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं। इस
मौसम में बाजारों में अपेक्षया भीड़भाड़ कुछ अधिक रहती है। चूंकि वस्त्र, बिजली के सामान, खिलौने आदि जैसी
कई व्यावसायिक गतिविधियां दिल्ली के थोक बाजारों पर निर्भर हैं, आसपास के राज्यों से कारोबारियों का
आवागमन बढ़ जाता है। घरों की रंगाई-पुताई करने वाले मजदूरों-कारीगरों की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में अगर बिना
नाक-मुंह ढंके और उचित दूरी का ध्यान रखे लोग आपस में मिलेंगे-जुलेंगे तो संक्रमण का खतरा स्वाभाविक रूप से
बढ़ेगा। वही दिल्ली में हुआ भी है।
लापरवाही के चलते अभी दिल्ली का हाल बिगड़ा हैै। अगर लोग नहीं माने तो यही स्थिति दूसरे राज्यों में भी हो
सकती है। फिर पूरे देश में लॉॅकडाउन के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा। ऐसा हम कई देशों में देख भी चुके हैं।