‘बाहुबली’ में वैसे तो हर एक किरदार अपने आप में शाहकार था, मगर जिस किरदार ने मुख्य किरदारों के बराबर शोहरत और प्यार हासिल किया, वो कटप्पा है। सिंहासन के लिए प्रतिबद्ध एक ऐसा स्वामीभक्त ग़ुलाम, जो अपने वचन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
यहां तक कि बाहुबली की भी जान लेने से नहीं चूकता, जिसे वो सबसे ज़्यादा चाहता और मानता था। इसीलिए ‘बाहुबली- द बिगिनिंग’ के के क्लाइमेक्स सीन में जब डायरेक्टर एसएस राजामौली ने कटप्पा के हाथों बाहुबली की हत्या दिखाकर फ़िल्म ख़त्म कर दी तो सदमा खाए दर्शक 2017 तक यही सवाल पूछते रहे कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा। इस सवाल का जवाब पाने के लिए दर्शक ‘बाहुबली द कंक्लूज़न’ के रिलीज़ होते ही सिनेमाघरों में टूट पड़े।
अब कुछ ऐसा ही किरदार संजय लीला भंसाली की मैग्नम ओपस ‘पद्मावती’ में भी दिख सकता है। भंसाली की इस फ़िल्म की कहानी के सारे किरदार अगर चित्तौड़गढ़ में सदियों से चली आ रही लोकश्रुति और काव्यों के आधार पर गढ़े गए हैं, तो यक़ीन मानिए इस किरदार की बहादुरी, स्वामिभक्ति और युद्ध कौशल देखकर आपको कटप्पा की याद ज़रूर आएगी।
ये किरदार है सेनापति गोरा। गोरा का उल्लेख पद्मावती या रानी पद्मिनी के जौहर लिए लिखी गई कविताओं और जनश्रुतियों में मिलता है। गोरा के साथ बादल का ज़िक्र भी किया जाता है, जो उनके भतीजे थे और अपने चाचा की तरह ही कुशल योद्धा और स्वामिभक्त थे। गोरा और बादल चित्तौड़ के राजा महारावल रतन सिंह की सेना में थे।
1298 में जब अलाउद्दीन खिलजी ने धोखे से रतन सिंह को बंदी बना लिया था तो उन्हें छुड़ाने के लिए रानी पद्मिनी ने गोरा की मदद ली थी। गोरा के बारे में कहा ये भी जाता है कि जब सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी के रूप को दर्पण में निहारने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी तो सेनापति गोरा ने इसका कड़ा विरोध किया था। उन्होंने रतन सिंह को समझाने की कोशिश की, लेकिन रतन सिंह ने इसे राजनैतिक मजबूरी बताते हुए खिलजी को रानी के दर्शन करवाने की ठान ली तो गोरा नाराज़ होकर राज्य छोड़कर चले गए थे।
जब खिलजी ने रतन सिंह को बंदी बना लिया तो रानी पद्मिनी ने ख़ुद उन्हें ढूंढा, मगर गोरा इतने नाराज़ थे कि रानी की मदद से इंकार कर दिया। तब रानी पद्मिनी ने उनके चरण छूकर राजा को बचाने की इल्तिज़ा की। चितौड़ की महारानी का ये विनम्र अंदाज़ देखकर गोरा का दिल पसीज गया और उन्होंने रतन सिंह को खिलजी की क़ैद से आज़ाद करवाने का प्रण लिया। इसके लिए गोरा ने अपने भतीजे बादल के साथ योजना बनाई।
खिलजी के कैंप तक संदेश भिजवाया गया कि महारानी पद्मिनी उसे सौंप दी जाएंगी, लेकिन उससे पहले उसे अपनी सेना क़िले के बाहर से हटाना होगी। साथ ही रानी पद्मिनी के साथ उनकी सेविकाओं और सहेलियां 50 डोलियों में सवार होकर खिलजी कैंप जाएंगी। योजना के मुताबिक़, हर डोली में राजपूत सेना के सबसे बेहतरीन सैनिकों को दो तलवारों के साथ बैठाया गया।
रानी पद्मिनी की डोली में उनकी जगह ख़ुद गोरा बैठे थे। रतन सिंह के तंबू में पहुंचकर गोरा ने उन्हें घोड़े पर सवार होकर क़िले में जाने को कहा और बाक़ी सेना को हमला करने के निर्देश दिये। भीषण मुक़ाबले के दौरान गोरा खिलजी के टैंट में घुसकर उसकी हत्या करने ही वाले थे कि धूर्त खिलजी ने अपनी दासी को आगे कर दिया। उसूलों के पक्के राजपूत योद्धा गोरा एक निहत्थी और निर्दोष औरत पर हाथ नहीं उठा सके। गोरा कुछ पल के लिए ठिठके और इतनी ही देर में खिलजी के सैनिकों ने पीछे से वार करके महायोद्धा को मार डाला।
चित्तौड़गढ़ क़िले में स्थित पद्मिनी महल में गोरा-बादल का भी एक महल मौजूद है। गोरा की वीरता की ये दास्तां बेहद रोमांचक और पद्मावती की कहानी का हिस्सा है। इसलिए पूरी उम्मीद है कि भंसाली ने अपनी ‘पद्मावती’ में इसे ज़रूर पिरोया होगा। अब सवाल ये है कि गोरा के विराट चरित्र को निभाने का मौक़ा किस कलाकार को मिलेगा। ‘बाहुबली’ में कटप्पा का रोल सत्यराज ने प्ले किया था। इस किरदार ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया था। मेकर्स ने अभी तक फ़िल्म के सिर्फ़ मुख्य किरदारों अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह), पद्मावती (दीपिका पादुकोण) और महारावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) की झलक ही दिखाई है।