राजनीति में प्रतीकों का बेहद महत्व होता है। मौसम चुनावी हो तो फिर प्रतीकों की राजनीति ‘सोने पर सुहागे’ जैसी
हो जाती है। वोट बैंक की सियासत के चलते परलोक गमन कर चुके गए नेताओं तक को सियासी ‘धरती’ पर उतार
दिया जाता है। प्रतीकों की राजनीति में सबसे बड़ा नाम महात्मा गांधी का है। कांग्रेस गांधी की मौत के दशकों बाद
तक उनके (महात्मा गांधी) नाम पर वोट बटोरती रही। यहां तक कि नेहरू खानदान ने अपना सरनेम तक गांधी रख
लिया। इसी तरह से कांग्रेस के दिग्गज दिवंगत नेता और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से
लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी तक अपनी मृत्यु के बाद वर्षों तक कांग्रेस के लिए वोट बैंक बढ़ाने-
हथियाने का माध्यम बने रहे तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी बीते लोकसभा चुनाव तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी का नाम चुनावी जंग में भुनाती रही, जबकि अटलजी ने मृत्यु से वर्षों पूर्व 2005 में राजनीति से
संन्यास ले लिया था। अटलजी के सहारे भाजपा ब्राह्मणों को लम्बे समय तक लुभाती रही है। बसपा, दलित चिंतक
मान्यवर कांशीराम के नाम के सहारे आज भी चुनावी जंग जीतने का प्रयास करते दिख जाती है। इसी प्रकार
समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, फिल्म अभिनेता से नेता बने
एनटी रामाराव, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और अपने समय की दिग्गज अभिनेत्री जयललिता आदि अपनी मौत
के वर्षों बाद तक वोट बैंक की सियासत की धुरी बने हुए हैं। अब इस सूची में मुलायम सिंह का नाम जुड़ गया है,
जो अस्वथ चल रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने 03 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात रिक्त सीटों के लिए होने वाले उप-चुनाव के
लिए राजनीति से संन्यास ले चुके और लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे मुलायम सिंह को अपना स्टार प्रचारक
बनाकर सबको चौंका दिया है। इतना ही नहीं जेल में बंद आजम खान भी समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक होंगे।
यानि सपा को लगता है कि हफ्ते दस दिन में आजम जेल से बाहर आ जाएंगे और चुनाव प्रचार करने लगेगें।
मुलायम और आजम की तरह जया बच्चन को भी अखिलेश ने अपना स्टार प्रचारक बनाया है। सपा मुलायम सिंह
के सहारे यादवों-पिछड़ों और आजम के नाम पर मुसलमानों को अपने पाले में लाना चाहती है। समाजवादी पार्टी ने
7 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारकों के नाम तय कर दिए हैं। सपा
मुखिया अखिलेश यादव, पार्टी संरक्षक और मैनपुरी से सांसद मुलायम सिंह यादव सपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री
जया बच्चन स्टार प्रचारक की सूची में शामिल हैं। इतना ही नहीं जेल में बंद रामपुर के सांसद आजम खान का
नाम भी पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है। कहा जा रहा है कि आजम खान का नाम स्टार
प्रचारकों में शामिल करके पार्टी वोटरों को संदेश देना चाहती है। यह संदेश है कि पार्टी आजम के साथ हर स्थिति
में है।
स्टार प्रचारकों की सूची में राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा, इंद्रजीत सरोज,
नेता प्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का भी नाम है। पार्टी ने माता प्रसाद
पांडेय, धर्मेंद्र यादव, महबूब अली, शैलेंद्र यादव ललई, संजय गर्ग, जगदीश सोनकर, इकबाल महमूद, शाहिद
मंजूर, कमाल अख्तर, रामआसरे विश्वकर्मा, जावेद अली खां, राज नारायन बिंद को भी स्टार प्रचारक बनाया है।
एमएलसी रामसुंदर दास निषाद, सुनील यादव, लीलावती कुशवाहा, राजपाल कश्यप, श्यामलाल पाल, जुगल किशोर
बाल्मीकि के साथ युवा प्रकोष्ठों के अध्यक्ष भी उपचुनाव में स्टार प्रचारक होंगे। उत्तर प्रदेश की नौगवां सादात,
बुलंदशहर, टूंडला, बांगरमऊ, घाटमपुर, देवरिया और मल्हनी विधानसभा सीटों के उपचुनाव की अधिसूचना जारी हो
गई है। 16 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे, जिनकी जांच 17 अक्टूबर को होगी। नाम वापसी की
अंतिम तारीख 19 अक्टूबर है और तीन नवंबर को मतदान होना है। उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित
किए जाएंगे। इन सात सीटों में से छह पर बीजेपी का जबकि एक पर एसपी का कब्जा था। बहरहाल, सभी नेताओं
की किस्मत एक जैसी नहीं होती है। इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे लाल बहादुर शास्त्री
का नाम कभी प्रतीक की राजनीति का हिस्सा नहीं बन पाया क्योंकि शास्त्री जी ने कभी जातिवाद की राजनीतिं की
ही थी। वह अपने पूरे सियासी सफर में सबको साथ लेकर चलते रहे। प्रतीक की राजनीति में शास्त्री जी की तरह ही
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्ह राव और डॉ. मनमोहन सिंह का भी कभी नाम नहीं लिया गया।