अर्पित गुप्ता
कोरोना महामारी का दौर शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सातवीं बार बचाव को लेकर राष्ट्र को संबोधित
किया। एक देश के जिम्मेदार मुखिया की भूमिका में वे बार-बार लोगों को संक्रमण से बचने के उपायों का गंभीरता
से पालन करने की अपील करते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने यही कहा कि बेशक लॉकडाउन हट गया है, पर कोरोना
संक्रमण का खतरा टला नहीं है। जब तक इस विषाणु की दवाई नहीं आ जाती, तब तक किसी प्रकार की ढिलाई न
बरतें। प्रधानमंत्री ने यह अपील ऐसे समय की है, जब त्योहारों का मौसम चल रहा है और बिहार चुनाव सहित
मध्यप्रदेश औैर बाकी कुछ राज्यों में उपचुनाव की गहमागहमी है। फिर जबसे लॉकडाउन हटा है, लोग जरूरी उपायों
का पालन करने को लेकर मनमानी करते देखे जा रहे हैं। दूरदराज के इलाकों में लोग जैसे भूल गए हैं कि कोरोना
का खतरा अभी टला नहीं है। न मुंह ढंक कर चलना जरूरी समझते हैं और न हाथों की सफाई और उचित दूरी
बनाए रखने जैसे नियमों का पालन कर रहे हैं। इसलिए चिंता स्वाभाविक है कि अगर संक्रमण की लहर वापस लौटी
तो चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
यह अच्छी और राहत देने वाली खबर है कि भारत में कोरोना संक्रमण की दर अब उतार पर है। ठीक होने वाले
लोगों की दर ऊंची और दूसरे देशों की तुलना में मृत्यु दर काफी कम है। इससे कई लोग यह मान बैठे हैं कि
कोरोना का प्रभाव अब खत्म हो रहा है। जबकि हकीकत यह है कि मौसम बदल रहा है, दिल्ली जैसे शहरों में
प्रदूषण बढ़ रहा है, तब इस विषाणु के संक्रमण का खतरा अधिक है। न त्योहार के दिनों में जब लोग जगह-जगह
एकत्र होकर उत्सव मनाते हैं, अगर सावधानी नहीं बरती जाएगी, तो संक्रमण के उतार को बरकरार रखना मुश्किल
साबित हो सकता है। अच्छी बात है कि कई जगह लोगों ने खुद रामलीला, दुर्गा पूजा आदि के आयोजन समिति
और अनुशासित दायरे में करने का फैसला किया है। मगर बहुत सारे लोग सावधानी की अहमियत नहीं समझ रहे
हैं। हालांकि विज्ञापनों और तमाम संचार माध्यमों के जरिए बार-बार समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि इस
मामले में कोई भी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है, पर उसका अपेक्षित असर नहीं हो पा रहा है।
देखा जाए तो प्रधानमंत्री की बातों का लोगों पर असर पड़ता है, इसलिए उनके इस संबोधन के भी बेहतर नतीजे
आने की उम्मीद की जा रही है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकारी संस्थाओं और बहुत सारे नागरिक
संगठनों ने मिलकर बहुत मेहनत की है। प्रधानमंत्री ने उन सबके प्रयासों की सराहना भी की। मगर सबसे कारगर
साबित हुआ है लोगों का खुद से सतर्कता बरतना। किसी भी महामारी के शुरुआती चरण में स्वास्थ्य विभाग के
सामने कई मुश्किलें पैदा होती हैं। वे दुनिया भर के चिकित्सकों के सामने आईं, पर भारत में समय रहते लॉकडाउन
व स्वास्थ्य कर्मियों की कड़ी मेहनत का असर दिखा। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस मेहनत को जाया न
होने दें। इतनी विशाल और सबसे अधिक ग्रामीण और दुर्गम इलाकों वाले देश में संक्रमण को रोकना खासा चुनौती
भरा काम है। इसलिए यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि अब तक जिस तरह लोग खुद सावधानी बरतते आए हैं, वे
बरतते रहें। इसके टीके पर काम लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया है, इसलिए इसके आने तक लोग अपनी
जिम्मेदारी निभाते रहें, तो इस महामारी का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो चलेगा।