चीन में बढ़े तनाव के बीच लद्दाख के गांवों के लोगों का जवानों की मदद एक बेमिसाल उदहारण है

asiakhabar.com | October 1, 2020 | 4:24 pm IST

अर्पित गुप्ता

हमारे देश में भिन्न-भिन्न भाषा, जाति-धर्म अनेक राजनैतिक विचारधारा के लोग रहते है पर एक बात अच्छी है
कि जब देश संकट की बात हो सभी कंधे से कन्धा मिला कर काम करते है। इसका सबसे बढ़िया उधाहरण हाल ही
में लद्दाख में देखने को मिला। एलएसी पर भारत और चीन में बढ़े तनाव के बीच लद्दाख के गांवों के लोग जिस
तरह से भारतीय जवानों की मदद कर रहे हैं, उससे हर भारतीय प्रेरित हो रहा है। अगले महीने ठंड का मौसम आने
वाला है और ऐसे में तापमान शून्य से नीचे 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। सारी परिस्थितियों को देखते
हुए लद्दाख के लोग ब्लैक टॉप के नाम से जानी जाने वाली हिमालय पर्वत की चोटी की मुश्किल यात्रा कर रहे हैं।
कठिन यात्रा कर ये लोग भारतीय सेना के जवानों की जरूरत के सामान पहुंचा रहे हैं। ऐसा करने के पीछे लोगों का
एक ही मकसद है भारतीय सेना को मजबूत करना। वे नहीं चाहते कि चीन उनके गांव की जमीन पर कब्जा कर
ले। गांव की महिलायें खुद खाना बनाकर जवानों तक पहुंचा रही हैं। डफेल बैग, चावल की बोरियां, ईंधन के डिब्बे,
बांस के डिब्बे और अन्य जरूरी सामान सेना के टैंटों तक पहुंचाया जा रहा है। यह सब देखकर लद्दाख के लोगों की
राष्ट्र निष्ठा का पता चलता है।
पिछले कुछ दिनों से केन्द्र और लद्दाख के राजनीतिक दलों में टकराव का माहौल बना हुआ था। लद्दाख के लोगों
ने आगामी लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय परिषद के चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर डाला था। लेह के लोगों के
प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अमित शाह ने लद्दाख के लोगों के संरक्षण के
लिए विकास का भरोसा दिलाया। गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे पर प्रतिनिधिमंडल ने आगामी लद्दाख स्वायत्त
विकास परिषद के चुनाव के बहिष्कार का आह्वान वापस ले लिया है। गृह मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया कि भारत
सरकार लद्दाख के लोगों से संबंधित मुद्दे को देखते हुए देश के संविधान की छठी अनुसूची के तहत उपलब्ध
संरक्षण पर चर्चा को तैयार है। लद्दाख के लोगों की भाषा, जनसांख्यिकी, जातियता, भूमि और नौकरियों से
संबंधित सभी मुद्दों पर सकारात्मक रूप से ध्यान दिया जाएगा। यह प्रक्रिया चुनावों के बाद शुरू की जाएगी और
कोई भी निर्णय लेह और कारगिल के प्रतिनिधियों के परामर्श से ही लिया जाएगा। गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि
भारत सरकार लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा करेगी और इस उद्देश्य के लिए विकल्प तलाशे जाएंगे।

पिछले वर्ष 5 अगस्त को केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 यानि विशेष संवैधानिक दर्जा समाप्त
कर उसे दो केन्द्र शासित राज्यों में बांट दिया था। उसके बाद से यह पहले चुनाव हैं। क्षेत्र के पूर्व राजनीतिज्ञों के
समूह खुद भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित सभी क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों और धार्मिक समूहों ने
चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। जब लद्दाख में संवैधानिक सुरक्षा की मांग जोर पकड़ने लगी तो
मौजूदा पर्वतीय परिषद, जिसमें अभी भाजपा बहुमत में है, ने भी इसी मांग के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया
था। इससे भाजपा हाईकमान की चिन्ता बढ़ गई थी।
भाजपा नेता और पर्वतीय परिषद के डिप्टी चेयरमैन सेरिंग सामडूप का कहना है कि लद्दाख के लोगों की जन
इच्छाओं को देखते हुए यह जरूरी है कि लद्दाख के लोगों को अपनी जमीन, जंगल, रोजगार, व्यापार, सांस्कृतिक
संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा के लिए संविधान में विशेषाधिकार दिए जाएं। भारत बहुत बड़ा देश है, यहां
स्थानीय भावनाओं का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब
लद्दाख को विकास के लिए अधिक फंड मिल रहा है और यहां ढांचागत सुविधाओं में सुधार हो रहा है लेकिन लोगों
की नौकरियां खत्म हो रही हैं क्योंकि अब उनके लिए कोई आरक्षण नहीं है। लोगों को यह भी आशंका है कि बाहरी
लोग आकर लेह और अन्य स्थानों पर बस गए तो वे खुद अल्पसंख्यक हो जाएंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने बहुत
ही सकारात्मक ढंग से लद्दाख के मूल निवासियों की भावनाओं को समझा और उनका निवारण करने का भरोसा
दिलाया। लेह में यह ऐतिहासिक राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है कि सभी धार्मिक और राजनीतिक दल एक साथ आ
गए। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। रोजगार, संपत्ति और पर्यावरण की सुरक्षा की गारंटी के बिना केन्द्र शासित प्रदेश
किसी काम का नहीं। इन सब बातों को महसूस कर ही गृह मंत्री ने लद्दाख के हितों की रक्षा करने का आश्वासन
दिया है। भारत-चीन तनाव के बीच चुनाव का बहिष्कार खत्म करने का फैसला भी राष्ट्र हित में है। अब सरकार
पर्वतीय परिषद के चुनावों के बाद लद्दाख के लोगों की इच्छायें पूरी करने के लिए कदम उठायेगी।


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