सारांश गुप्ता
संयुक्त राष्ट्र। मालदीव ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच द्वीप राष्ट्र की मदद के
लिए 25 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता मुहैया कराने पर भारत को धन्यवाद दिया। भारत इस महामारी से
निपटने के लिए मालदीव को ‘‘सबसे बड़ी वित्तीय सहायता’’ देने वाला देश है।
मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में आम चर्चा के
दौरान कहा, ‘‘इस वैश्विक महामारी ने वैश्विक सहयोग की महत्ता रेखांकित की है। मालदीव में हमारे मित्रों और
द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय साझीदारों के सहयोग के बिना हम इस संकट का सामना नहीं कर पाते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने उन सभी साझीदारों का शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने ऐसे समय में उदारता के साथ
वित्तीय ममद, सामग्री एवं तकनीकी सहायता मुहैया कराई, जब वे स्वयं भी चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। इसका
एक उदाहरण भारत है। भारत ने हाल में 25 करोड़ डॉलर की सहायता मुहैया कराई, जो इस वैश्विक महामारी के
दौरान किसी एक देश द्वारा मुहैया कराई गई सबसे बड़ी वित्तीय सहायता है।’’ मंत्री ने उम्मीद जताई कि कोरोना
वायरस का टीका विकसित होने पर हर व्यक्ति तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
मालदीव में भारतीय दूतावास ने एक बयान में बताया था कि भारत ने कोविड-19 महामारी के अर्थव्यवस्था पर पड़े
प्रभाव से निपटने में मदद के लिये मालदीव को 25 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी है।
मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश की कठिन आर्थिक स्थिति से
निपटने में मदद के आग्रह के बाद यह सहायता दी गयी। यह वित्तीय सहायता सर्वाधिक अनुकूल शर्तों पर उपलब्ध
करायी गयी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ डिजिटल माध्यम से बैठक के दौरान वित्तीय सहायता की घोषणा की गयी थी।
यह सहायता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), माले को ट्रेजरी बांड की बिक्री के जरिये उपलब्ध करायी गयी।
भुगतान को लेकर ट्रेजरी बिल की अवधि 10 साल है।
दूतावास ने कहा था कि भारत-मालदीव की भागीदारी अलग एवं अनूठी है और कोविड-19 महामारी ने इसे रेखांकित
किया है। भारत इस कठिन समय में हमेशा मालदीव की जनता और यहां के लोगों के साथ खड़ा रहा है और रहेगा।
भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव को निरंतर सहायता उपलब्ध करायी है।
कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर चिकित्सकों और विशेषज्ञों का एक दल मार्च में मालदीव गया था। अप्रैल
में 5.5 टन जरूरी दवाओं की खेप दी गयी। वहीं भारतीय वायु सेना ने मई में 6.2 टन दवाएं और 580 टन
खाद्य पदार्थ पहुंचाये।