नई दिल्ली। हाथरस गैंगरेप मामले में रात ढाई बजे पीड़ित लड़की का परिजनों की स्वीकृति
के बिना अंतिम संस्कार किये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। विपक्षी दलों के साथ आमजन भी उत्तर प्रदेश
पुलिस और प्रशासन के इस कदम की निंदा कर रहे हैं। इस क्रम में कांग्रेस ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पद से हटाने की मांग की है। महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने बुधवार को
पत्रकार वार्ता में कहा कि उप्र का मुख्यमंत्री होने के नाते हाथरस मामले में प्रशासन के सारे कृत्य की जिम्मेदारी
योगी आदित्यनाथ की है। जिस तरह से हाथरस की बेटी का बलात्कार हुआ, जिस तरह से उसको मारा-पीटा गया,
आदित्यनाथ जी को इस पर शर्म आनी चाहिए। ऐसे में पीएम मोदी को योगी आदित्यनाथ से मुख्यमंत्री पद छोड़ने
के लिए कहना चाहिए। कांग्रेस पार्टी सीएम योगी के इस्तीफे की मांग करती है। उन्होंने कहा कि अगर हाथरस की
बेटी को न्याय मिलना है तो अजय बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। कांग्रेस
ने सरकार से पूछा कि आखिर घटना के 8 दिनों तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई? छह दिन उसे जनरल
वार्ड में रखा गया और फिर आधी रात में परिवार की अनुपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। इसका क्या
मतलब है। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री और स्मृति ईरानी भी इसी प्रदेश से आते हैं, फिर भी उनकी
चुप्पी खलती है। इस मामले में मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है। सीएम योगी आदित्यनाथ के पास गृह
मंत्रालय भी है, इसलिए वह भी दोषी हैं। वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी जांच की घोषणा पर सुष्मिता देव ने कहा
कि यह काफी नहीं है, न ही फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट काफी है। सीएम जवाब दें कि 8 दिन तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं
की गई? जो लोग राज्य में बड़े पदों पर बैठे हैं, क्या एसआईटी उनकी जांच करेगी ? इसके इतर कांग्रेस के वरिष्ठ
नेता अहमद पटेल ने भी योगी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यूपी में सरकार एक असंवेदनशील और
अमानवीय शासन बन गई है। उन्होंने पूछा क्या यह किसी परिवार का अनुचित अधिकार है कि वो उनकी बेटी का
अंतिम संस्कार करे? आखिर उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है जैसे कि वे आतंकवादी हैं? वहीं,
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने हाथरस की घटना पर दुख जताते हुए बिना नाम लिए स्मृति ईरानी पर निशाना
साधा। उन्होंने कहा कि 'उत्तर प्रदेश की सांसद, जो महिला और बाल विकास कल्याण मंत्री भी हैं, उनकी चुप्पी
चिंताजनक है। उम्मीद है उनको ख़बर की जानकारी मिल गयी होगी और उन्होंने सख़्त कार्यवाही का आदेश भी
जारी कर दिया होगा।'