मोनी चौहान
आपके बच्चे बड़े होकर कैसे इंसान बनेंगे, यह आपके अभी के व्यवहार पर निर्भर करता है। उनके साथ आपके
रिश्ते की नींव मजबूत होगी तो समझिए उनकी परवरिश भी आसान हो जाएगी। कैसे अपने परवरिश की नींव करें
मजबूत।
अपने बच्चे के लिए हम सब बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं। पर, यह सपना सच हो, इसके लिए जरूरी है कि
हमारा बच्चों के साथ रिश्ता बेहतरीन हो। हम उनसे और वो हमसे दिल की बातें आसानी से कह सकें। वो हमसे
खुलकर अपनी गलती बता सकें तो हम उन्हें सही-गलत के असल मायने समझा सकें। पर ऐसा करने के लिए कुछ
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा….
अपनी कथनी पर दें ध्यान
बच्चे से अपना अच्छा रिश्ता बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि उनके सामने आपकी इमेज अच्छी हो और इसके
लिए आपको अपनी आदतों पर भी काबू करना होगा। मनोविशेषज्ञ डॉ. स्मिता श्रीवास्तव कहती हैं, बच्चे के लिए
आप रोल मॉडल हैं और ऐसे में आपको अपनी हरकतों पर ध्यान देना आवश्यक होगा। वो काम करने से बचिए
जिन्हें न करने की सलाह आप बच्चों को देती हैं। जैसे आप बच्चे से कहती हैं कि टेलीविजन मत देखो, पर खुद
घंटों टीवी देखती हैं। या उससे फास्ट फूड न खाने को कह कर खुद वही खाती हैं। अगर बच्चे को अनुशासन
सिखाना है तो खुद अनुशासन में रहिए, तब ही बात बनेगी और बच्चे की परवरिश अच्छे से होगी।
दोस्त की तरह हो बात
आपकी बेस्ट फ्रेंड आपकी कोई ड्रेस पहनने के लिए ले गई थी, पर जब उसे लौटाने आई तो यह कह कर सॉरी बोल
दिया कि गलती से फट गई, मैं तुम्हें नई ड्रेस खरीद देती हूं। इस पर आपका जवाब क्या था, अरे, कोई बात नहीं,
इसकी जरूरत नहीं। बस, यही एटीट्यूड रखना है बच्चे की गलती पर भी। पर हां, उसे यह भी समझाना होगा कि
वह चीजों की अहमियत भी समझे और अपनी तरफ से सतर्कता जरूर बरते। बच्चे के हाथ से कुछ टूट जाने या
खराब हो जाने पर आपका डांटना उसे गलती का एहसास कम कराएगा और उसके दिमाग में बस डांट ही बैठ
जाएगी। इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें चीजों की अहमियत समझाते हुए दोस्ती का रिश्ता निभाएं।
दोस्ती पर हो अंकुश
जी हां, विशेषज्ञ भी यही मानते हैं। बच्चों के साथ दोस्ती के चक्कर में उनके माता-पिता भूल जाते हैं कि इस
दोस्ती की कुछ सीमा भी होनी चाहिए। अगर आपके और आपके बच्चे के बीच मां और बच्चे के रिश्ते की जगह
दोस्ती का रिश्ता हावी हो जाएगा तो बच्चा आपको महत्व देना ही बंद कर देगा। और आपकी गलत-सही सिखाने
की कवायद भी बेकार हो जाएगी। इससे बचने के लिए एक तरीका यह है कि आप पहले बच्चे को सख्ती से क्या
करें और क्या न करें वाली बात समझा दें, फिर दोस्ती आगे बढ़ाएं, ताकि दोस्ती में खुलने से पहले वो सीमाओं को
याद रखें। जैसे बच्चे को यह पता होना चाहिए कि मम्मा उसको मनपसंद वॉटर पार्क ले जाएगी, पर पढ़ाई में
लापरवाही न करने पर ही ऐसा होगा। या सप्ताह में एक बार उसे बाहर का खाना खाने दिया जाएगा, पर बदले में
रोज एक गिलास दूध पीने में उसे कोई आनाकानी नहीं करनी होगी।
बच्चे के लिए समय निकालिए
ऑफिस और फिर घर के काम निपटाने के बाद जब समय मिलता है तो आप बच्चों के साथ बैठकर बात करती हैं,
पर किसी-किसी दिन इतना समय भी नहीं निकल पाता है। अगर ऐसा आपके साथ भी होता है तो अपनी दिनचर्या
में थोड़ा बदलाव कर लीजिए, क्योंकि जब आपके पास समय ही नहीं होगा तो बच्चे के साथ आप अपना रिश्ता
मजबूत कैसे बना पाएंगी? 10 साल की बेटी की मां श्रुति कहती हैं, पहले मैं ऑफिस के बाद घर से जुड़े काम खुद
ही कर लेना चाहती थी, पर अब घर के कामों को पति के साथ बांट लिया है, ताकि हम दोनों ही जल्दी फ्री होकर
अपनी बेटी के साथ समय बिता सकें। उससे उसके स्कूल, दोस्त जैसे मुद्दों पर बात करते हैं। इसका असर भी
हुआ है। बेटी अब कई बार खुद से आकर अपनी दिक्कत बताती है। दोस्तों से जुड़ी बातें बताती है, हमारा रिश्ता
पहले से बेहतर हो रहा है।
उन पर कीजिए पूरा विश्वास
बच्चे भले ही गलती करें, पर उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि आप हमेशा उनके साथ रहेंगी और स्थितियां बेहतर
करने में उनकी पूरी मदद भी करेंगी। कुल मिला कर बात यह है कि बच्चा आप पर इतना विश्वास करे कि किसी
भी तरह की दिक्कत में पहले आपके ही पास आए। बच्चे के मन में अपने प्रति यह विश्वास आप एक दिन में तो
पैदा नहीं कर सकती हैं। इसके लिए आपको लगातार प्रयास करना होगा और विश्वास जीतना होगा। आगे की राह
अपने आप आसान हो जाएगी।