सारांश गुप्ता
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में दिए अपने भाषण में
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुरक्षा परिषद से अपील की है कि वो कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की सेना
भेज कर हस्तक्षेप करे। शुक्रवार को हुए इस सत्र से भारत ने शुरुआत में ही वॉकआउट कर दिया था। शुक्रवार को
खान ने कहा, सुरक्षा परिषद को कश्मीर में संघर्ष को रोकना चाहिए और अपने प्रस्तावों का कार्यान्वयन करना
चाहिए, जैसा कि पूर्वी तिमोर में किया गया था। पूर्वी तिमोर मॉडल में इंडोनेशिया द्वारा आक्रमण करने के बाद
सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्तावों को लागू करने और 1999 में तिमोर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और चुनावों
की देखरेख करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय बल को अधिकृत किया था। फिर इसके अगले साल
संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने तिमोर-लेस्ते में कमान संभाली थी। 2006 में तिमोर में असफल तख्तापलट होने
और बड़े पैमाने पर फैली अशांति के बाद फिर से शांति सैनिकों में भेजा था। 1948 में पारित हुए प्रमुख सुरक्षा
परिषद के प्रस्ताव नंबर 47 मांग करता है कि पाकिस्तान पहले कश्मीर से अपने सैनिकों और नागरिकों को वापस
ले। जवाहरलाल नेहरू इस मामले में जनमत संग्रह कराने तैयार हो गए थे लेकिन पाकिस्तान द्वारा प्रस्ताव की शर्त
का पालन नहीं करने के कारण जनमत नहीं हो सका था। इसके बाद भारत ने कश्मीर में चुनाव कराए और बकौल
नई दिल्ली यह भारत में इसके शामिल होने की पुष्टि करता है। वहीं, पुर्तगाली उपनिवेश पूर्वी तिमोर (फ्रेटिलिन)
की स्वतंत्रता के लिए एक क्रांतिकारी मोर्चा लड़ रहा था। जब तख्तापलट ने पुर्तगाल में सलाजार शासन को उखाड़
फेंका तो 1975 में फ्रेटिलिन ने स्वतंत्रता की घोषणा की। लेकिन इसके तुरंत बाद ही इंडोनेशिया ने इस पर
आक्रमण किया और 1999 तक शासन किया क्योंकि विद्रोहियों ने इंडोनेशिया का समर्थन किया था। संयुक्त राष्ट्र
द्वारा किए गए जनमत संग्रह के बाद 2006 में परेशानी तब पैदा हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने अपने शांति सैनिकों
को फिर से वहां भेजा। ऐसे में तिमोर की तरह कश्मीर में वह मॉडल लागू करें तो सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का
पालन करने के लिए कश्मीर से पाकिस्तानियों को हटाना होगा।