सुरेंद्र कुमार चोपड़ा
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज राज्यसभा में आरोप लगाया कि सरकार किसानों से विचार
विमर्श किये बिना कृषि सुधारों से संबंधित विधेयक लायी है और अनुबंध कृषि की व्यव्स्था से किसानों की जमीन
पर कारपोरेट घरानों कब्जा हो जायेगा।
कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कृषक उपज व्यापार वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और
कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 तथा मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी के के के रागेश एवं छह अन्य सदस्यों के इन विधेयकों से संबंधित अध्यादेशों को निरस्त करने के
संकल्प पर एक साथ चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि अनुबंध कृषि से किसान अपनी जमीन से बेदखल हो
सकते हैं और उनकी जमीन पर कारपोरेट घरानों का कब्जा हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में 30 प्रतिशत जमीन पर कारपोरेट घरानों ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी विधेयकों के पक्ष में नहीं है और विधेयकों के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री ने केन्द्र
सरकार को पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि सरकार की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी विधेयकों का विरोध
किया है और उसकी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
श्री बाजवा ने विधेयकों को किसान की आत्मा पर हमला करार देते हुए कहा कि शरीर के घाव तो भर जाते हैं
लेकिन आत्मा का घाव भरने में बहुत वक्त लगता है। उन्होंने कृषि सुधार विधेयकों को किसानों के ‘डेथ वारंट’ पर
हस्ताक्षर करने जैसा बताते हुए कहा कि कांग्रेस इसे पूरी तरह से खारिज करती है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों
को ऐसे समय में लाया गया है जब देश में प्रतिदिन एक लाख लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शांता कुमार समिति की सिफारिश पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त करने का प्रयास
किया जा रहा है। समिति ने कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केवल छह प्रतिशत किसान ही फसलों की
बिक्री करते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में मंडी व्यवस्था समाप्त होने से लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे।