मनीष गोयल
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को कई सदस्यों ने कोरोना वायरस के कारण लोगों की
आजीविका प्रभावित होने का मुद्दा उठाते हुए मनरेगा योजना में कार्यदिवस की मौजूदा 100 दिनों की सीमा को
बढ़ाने की मांग की। उच्च सदन में शून्यकाल में कांग्रेस सदस्य छाया वर्मा ने लॉकडाउन के कारण श्रमिकों के
सामने आयी गंभीर समस्या का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभी मनरेगा योजना में 100 दिनों के काम का
प्रावधान है और मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए इसे बढ़ाकर 200 दिन किया चाहिए और इसे पूरे देश में
लागू करना चाहिए। कांग्रेस सदस्य ने यह भी मांग की कि मजदूरों को समय से उनकी मजदूरी मिलनी चाहिए।
शून्यकाल में ही कांग्रेस के पी एल पुनिया ने भी लॉकाडाउन के कारण अपने गांव लौटे श्रमिकों को मनरेगा योजना
के तहत काम मिलने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर उन्हें 100 दिनों का काम मिल गया है।
ऐसे में उन्हें अब और काम नहीं मिल सकेगा। पुनिया ने मौजूदा महामारी के मद्देनजर मनरेगा कानून में जरूरी
संशोधन करने और न्यूनतम मजदूरी कम से कम 300 रूपए करने की मांग की। शून्यकाल में वाईएसआर कांग्रेस
के विजय साई रेड्डी ने पोलावरम परियोजना से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए केंद्र से बकाया राशि जल्द जारी करने की
मांग की। वहीं टीआरए सदस्य के आर सुरेश रेड्डी ने विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के जल के बंटवारे का मुद्दा
उठाया। द्रमुक सदस्य एम षणमुगन ने प्रधानमंत्री किसान योजना से जुड़ा मुद्दा उठाया। मनोनीत शंभाजी छत्रपति
और कांग्रेस के राजीव सातव ने मराठा आरक्षण का मुद्दा उठाया। सातव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक
हालिया फैसले के कारण मराठा आरक्षण पर खतरा पैदा हो गया है। कांग्रेस के रिपुन बोरा ने असम में दो पेपरमिल
बंद हो जाने से बड़ी संख्या में कर्मचारियों के बेरोजगार हो जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस
संबंध में विगत में आश्वासन भी दिया था। बोरा ने कहा कि सरकार अपना वादा पूरा कर दोनों इकाइयों को पुन:
चालू कर कर्मचारियों को उनके बकाए वेतन का भुगतान करे। शून्यकाल में ही भाजपा सदस्य केसी राममूर्ति ने
विशेष उल्लेख के जरिए ऑनलाइन रमी खेल से जुडा मुद्दा उठाया वहीं शिवसेना के अनिल देसाई ने रेलवे द्वारा
प्लेटफार्म टिकट की कीमत 10 रूपए से बढ़ाकर 50 रूपए किए जाने का विरोध किया। बीजद के प्रसन्न आचार्य
और सस्मित पात्रा, द्रमुक के टी शिवा, तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने भी विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व
के विभिन्न मुद्दे उठाए।