महाराष्ट्र पर हावी होती असहिष्णुता

asiakhabar.com | September 15, 2020 | 4:00 pm IST

संयोग गुप्ता

हिंसा के जरिये जोर जुल्म से बात मनवाना असहिष्णुता है।असहिष्णुता गुंडों के द्वारा की जाती है।यही असहिष्णुता
महाराष्ट्र पर काबिज होती दिख रही है। असहिष्णुता से दृढ़ संकल्पित रूप से सामना करने की जरुरत है।रक्त से
किसकी प्यास बुझती है,क्या आप जानते हैं? पिशाचों व पशुओं की,तुम तो फिर मनुष्य ही हो।महाराष्ट्र में नियम
क़ानून का प्रयोग राक्षसी प्रवृति के अनुरूप किया जा रहा है।महाराष्ट्र सरकार को सबसे बड़ी तकलीफ यही है की
दूसरे राज्य से आने वाला व्यक्ति उनके राज्य में कैसे स्वतंत्र है।स्वतंत्रता का हनन करना कोई महाराष्ट्र सरकार से
सीखे।पालघर में संतो की हत्या,कंगना रनौत के दफ्तर का तोड़ा जाना,कंगना रनौत को महाराष्ट्र में न आने की
धमकी दिया जाना,सुशांत सिंह राजपूत की हत्या/आत्महत्या के केस को कमजोर किया जाना,महाराष्ट्र में उच्च स्तर
के ड्रग्स का बड़े पैमाने पर कारोबार का होना आदि घटनाएं महाराष्ट्र सरकार की असहिष्णुता व नाकामी को दर्शाती
है।इस प्रकार की असहिष्णुता गुंडाराज को चरितार्थ करती है।शिव सेना को भी चाहिए की वे महाराष्ट्र में अन्य
राज्यों से आए लोगों के साथ ऐसी कोई हिंसक प्रतिक्रिया न करें जिससे हिन्दुस्तान के दूसरे राज्यों में महाराष्ट्र के
प्रति घृणा और असहिष्णुता का भाव पैदा हो।बोलने का अधिकार हमारा जन्मजात अधिकार है।यदि बोलना बंद कर
दिया गया तो हमारी आवाज़ और हमारे विचार सीमित हो जाएंगे। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद १९ (क)
के अंदर हमें बोलने की स्वतंत्रता दी गई है।यह हमारा मौलिक अधिकार है।अतः हम इसे लेकर न्यायालय में भी जा
सकते हैं।भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है।इसकी १९,२०,२१ तथा २२
क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं।
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में
से एक है। १९(क) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, १९(ख) शांतिपूर्ण और निराययुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता,

१९(ग)संगम, संघ या सहकारी समिति बनाने की स्वतंत्रता, १९(घ)भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की
स्वतंत्रता
१९(ङ)भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र कही भी बस जाने की स्वतंत्रता,१९(छ)कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या
कारोबार की स्वतंत्रता।कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत के लिए इन्साफ क्या मांगा कि महाराष्ट्र सरकार और कंगना
रनौत के बीच जंग छिड़ गई।महाराष्ट्र सरकार ने कंगना की बोली पर बी एम सी का बुलडोजर चलवा दिया।कंगना
रनौत के दफ्तर को तहस नहस कर दिया गया। सुशांत सिंह राजपूत की हत्या/आत्महत्या केस में अभिनेत्री रिया
चतुर्वेदी का ड्रग्स मामले में जेल जाना और उसके कुछ दिन बाद ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा कंगना रनौत को
धमकी दिया जाना व उनके दफ्तर का तोड़ा जाना, यह साबित करता है कि महाराष्ट्र सरकार सुशांत सिंह राजपूत
हत्या/आत्महत्या के केस को गुमराह करने में शामिल रही।यही कारण रहा कि सुप्रीम कोर्ट को सी बी आई जांच का
आदेश देना पड़ा।
कंगना रनौत हवाई यात्रा में थीं और उनकी अनुपस्थिति में बी.एम. सी.(बृहन्मुम्बई म्युनिसिपल कारपोरेशन) ने
कंगना का दफ्तर तोड़ा। हाई कोर्ट ने बी एम सी से पूछा कि आप कंगना रनौत की अनुपस्थिति के चलते उनके
दफ्तर को क्यों तोड़ा।हाई कोर्ट बॉम्बे ने कहा जब कोरोना काल है, बी एम सी कोई भी अवैध निर्माण को ध्वस्त
नहीं कर सकता।हाई कोर्ट ने ३० सितम्बर तक निर्माण को ढहाने पर रोक लगाई उसके बावजूद कंगना रनौत के घर
को तोड़ा गया।यह संविधान और न्यायालय का अपमान नहीं तो क्या है? हाई कोर्ट की लताड़ के बाद महाराष्ट्र
सरकार को सुधर जाना चाहिए।लोकतंत्र की हत्या,जनता स्वीकार नहीं करेगी।कंगना रनौत ने महाराष्ट्र सरकार को दो
टूक बोला- मेरा घर टूटा,तेरा घमंड टूटेगा। यह कहने में आश्चर्य नहीं होगा कि महाराष्ट्र सरकार ने बी एम सी
(बृहन्मुम्बई म्युनिसिपल कारपोरेशन) की कार्यवाही के बहाने कंगना के दफ्तर पर डकैती डलवाई।कंगना रनौत के
साथ महाराष्ट्र सरकार जो कर रही है वो लोकतंत्र की हत्या है।कंगना रनौत को इन्साफ मिलना चाहिए।सुशांत सिंह
राजपूत को इन्साफ मिलना चाहिए।दिशा सालियान की हत्या पर दिशा सालियान को इन्साफ मिलना चाहिए।पालघर
में हुई संतों की हत्या पर संतों को इन्साफ मिलना चाहिए।
कंगना का घर तोड़ा है बी एम सी ने,
बी एम सी को कौन तोड़ेगा।
महाराष्ट्र सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की,
इसकी हत्या कौन करेगा?
कहने का तात्पर्य है कि जनता अब महाराष्ट्र सरकार को उखाड़ फेकेगी।जनता लोकतंत्र के हत्यारों से चुन चुन के
बदला लेगी।
भारत में जो आपसी सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करे वह भारतीय कम व आतंकी ज्यादा है।कंगना रनौत के केस में
बी एम सी का रोल असहिष्णु व गैरकानूनी था।मानव द्वारा चुनी गई सरकार को मानवता पर अमल करना
होगा।मानवता, सहिष्णुता की जननी है।सच्ची मानवता तब जन्मेगी,जब दुनिया से असहिष्णुता मिटेगी,जब दुनिया
में लोगों को जीने की स्वतंत्रता होगी,जब दुनिया से वहशीपन हटेगा,जब उगता सूरज सारे अँधेरे को लील
जाएगा,जब शेर की गर्जन से हिरन जान बचाकर नहीं भागेंगे,शेर पर भरोसा होगा तब दुनिया से बुराई का अंधकार
छट जाएगा और सही मायने में सहिष्णुता का राज होगा।हमारे पुराणों में अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े की निरापद
बेरोकटोक यात्रा को विश्वविजयी पराक्रम स्वीकृति और उसकी दौड़ में बाधा को ललकारने को चुनौती के रूप में देखा
जाता था, ऐसा ही रूतबा महाराष्ट्र सरकार में बी एम सी व शिव सेना का है।पालघर में संतो की निर्मम

हत्या,हत्यारों की दबंगई का ही परिणाम कहा जा सकता है।कंगना रनौत के दफ्तर का तहस – नहस किया जाना,
बी. एम. सी. की दबंगई का परिणाम है।सुशांत सिंह राजपूत केस का कमजोर होना मुंबई पुलिस की दबंगई का
परिणाम है।किसी भी राज्य में शासक दबंगई के बल पर शासन करने लगे तो समझ लेना चाहिए की वंहा गुंडाराज
है।गुंडाराज किसी भी राज्य के लिए विकास की उपलब्धि नहीं है।यह विकास के नाम पर अपराधियों को शरण देने
वाली बात है।विकास को गति देने के लिए सुयोग्य,ईमानदार,प्रशासनिक अधिकारी,नेता,मंत्री,व सरकार आवश्यक
हैं।नेता उत्प्रेरक होता है।राजनेता समाज को जोड़ सकते हैं।वे जनता के हैं और जनता उनकी है।शिव सेना के नेता
संजय राउत जैसे लोग देश को तोड़ने का काम करते हैं।महाराष्ट्र में पालघर में संतों की हत्या,सुशांत सिंह राजपूत
हत्या/आत्महत्या,दिशा सालियान की हत्या /आत्महत्या,उच्च स्तर के ड्रग्स का बड़े पैमाने पर कारोबार का होना
आदि नेताओं के कोरे वायदे,राजनीति का अपराधीकरण होना आदि इंसानियत के साथ वीभत्स रूप को दर्शाती
है।महाराष्ट्र में सत्य,अहिंसा विरोधी रथ पर सवार हो सत्ता के चरम शिखर पर पंहुचने वाले सुधारकों की मनोदशा
ठीक नहीं है।सुधारकों की प्रवृति ठीक होती तो महाराष्ट्र में सत्य और अहिंसा का प्रवाह होता।बी.एम. सी.(बृहन्मुम्बई
म्युनिसिपल कारपोरेशन) को उद्धव ठाकरे के निजी आवास व दफ्तर का भी नक़्शे से मिलान करना चाहिए।यदि
मातोश्री बंगला में खामियां पाई जाए तो इसको भी तहस – नहस करना चाहिए।उच्च न्यायालय को इस विषय में
हस्तक्क्षेप करने की जरुरत है तभी लोकतंत्र कायम रह पाएगा अन्यथा महाराष्ट्र सरकार संविधान की धज्जियां
उड़ाती रहेगी।इस पूरे मामले की जांच सी. बी.आई.(केंद्रीय जांच ब्यूरो) से करानी चाहिए।अन्यथा महाराष्ट्र सरकार,
महाराष्ट्र में रोजी रोटी कमाने के लिए बाहर से आए लोगों की स्वतन्त्रता का हनन करती रहेगी।अतएव हम कह
सकते हैं कि महाराष्ट्र में असहिष्णुता अपने चरम पर है।


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